देश
के कई राज्यों के किसानों ने कर्ज माफ करने की मांग की है। महाराष्ट्र और
मध्यप्रदेश में तो किसान इन दिनों विरोध प्रदर्शन और हड़ताल कर रहे हैं। किसानों
का कहना है कि कुछ महीने पहले हुई नोटबंदी ने उनकी हालत खराब कर दी है। उन्हें उपज
की सही कीमत नहीं मिल रही है। बैंकों के कर्ज से उनकी स्थिति खराब हो गई है। उत्तर
प्रदेश सरकार ने किसानों की कर्ज माफी का एक रास्ता दिखा दिया है। अब दूसरे
राज्यों के किसान भी ऐसी मांग कर रहे हैं। मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र के अलावा राजस्थान और गुजरात में भी किसान अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने आ गये हैं।
महाराष्ट्र में किसान आंदोलन की शुरुआत
भाजपा
ने लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने और
किसानों को उपज का लागत से डेढ़ गुना दाम दिलाने का वादा किया था। महाराष्ट्र सरकार
और केंद्र की सरकार ने किसानों से कर्ज माफी का वादा किया लेकिन वादा पूरा नहीं किया। इस कारण अप्रैल 2017
में अहमदनगर (महाराष्ट्र) के पुणतांबा गांव में ग्राम सभा ने हड़ताल का फैसला
लिया। पुणतांबा की मंडी अहमदनगर और नासिक की सीमा पर बसी सबसे बड़ी मंडी है जो आसपास के शहरों-कस्बों में दूध, फल और सब्जी सप्लाई करती है।
कई
साल से मानसून खराब होने के चलते पैदावार ठीक नहीं हुई, लिहाजा किसानों की माली हालत खराब हो
गई। इस साल फसल तो अच्छी हुई, लेकिन किसानों की उसकी सही कीमत नहीं मिली। अरहर और सोयाबीन के मामले
में किसानों को काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ा है। सब्ज़ियों के मामले में तो किसान
बुरी तरह से परेशान हो गए। उनके लिए सब्जियों के दाम निकालना भी मुश्किल हो गया। इस
वजह से किसानों ने तय किया कि इस बार वे खरीफ की फसल में वो केवल अपनी जरूरतभर की
चीजें ही पैदा करेंगे।
पुणतांबा
के किसानों से प्रभावित होकर छोटे-बड़े किसान संगठन इकट्ठा हो गए। 1 जून से किसान क्रांति मोर्चा के नाम से आंदोलन शुरू हुआ। बाद में
पश्चिम महाराष्ट्र के किसानों ने आंदोलन शुरू किया। इस आंदोलन को किसान क्रांति का
नाम दिया गया है। नासिक और अहमदनगर आंदोलन के केंद्र हैं। नासिक, अमहदनगर, सांगली, कोल्हापुर, अमरावती समेत अन्य जिलों में किसानों
ने विरोध-प्रदर्शन किया।
विदित
हो कि देश में सबसे ज्यादा किसानों की आत्महत्या की खबरें महाराष्ट्र से ही आती
हैं। मराठवाड़ा और विदर्भ में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या करते हैं। देश में जितने भी किसानों ने आत्महत्याएं की
हैं, उनमें से 45 फीसदी किसान महाराष्ट्र से हैं। पिछले
दो दशक में सबसे ज्यादा 64 हजार किसानों ने महाराष्ट्र में ही आत्महत्या की है। केंद्र में
एनडीए सरकार के आने के बाद किसानों की आत्महत्या की दर 42 फीसदी बढ़ गई है।
महाराष्ट्र के किसानों की मांग
Ø किसानों का कर्ज माफ किया जाए
Ø उत्पादन लागत से 50% ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मिले
Ø 60 साल और उससे ज्यादा उम्र के किसानों
के लिए पेंशन स्कीम हो
Ø बिना ब्याज के लोन मिले
Ø दूध का रेट बढ़ाकर 50 रुपए/लीटर किया जाए
Ø माइक्रो सिंचाई उपकरण के लिए सब्सिडी
मिले
Ø स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू की
जाए
सरकार
की घोषणा
आंदोलन को देखते हुए
महाराष्ट्र
के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जरूरतमंद किसानों का कर्ज 31अक्टूबर 2017 तक माफ कर दिया जाएगा। इससे पांच एकड़ से कम जमीन के मालिक करीब 1.07 करोड़ किसानों को लाभ होगा। उन्होंने
कहा कि आंध्रप्रदेश की तर्ज पर महाराष्ट्र में
भी कर्ज माफी के लिए आईटी आधारित प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा। दरअसल महाराष्ट्र सरकार ने एलान किया था कि
किसानों का 30000 करोड़ का कर्ज माफ होगा और इस कर्ज
माफी से 34 लाख किसानों को कर्ज माफी का फायदा
मिलेगा। मराठवाड़ा व विदर्भ के 80 फीसदी किसानों को फायदा मिलेगा। ऋण माफी के
लिए एक समिति के गठन का फैसला हुआ है।
मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन
मध्य
प्रदेश के मंदसौर में आंदोलन कर रहे किसानों पर 6 जून 2017 को पुलिस ने फायरिंग कर
दी, जिससे 6 किसानों की मौत हो गई है जबकि
कई किसान घायल हो गए।
मध्य प्रदेश के किसानों की मांग
§ किसानों का कर्ज माफ किया जाए
§ फसलों का उचित मूल्य मिले
§ मंडी शुल्क वापस लिया जाए
§ बिजली के बढ़े हुए बिल वापस लिए जाएं
§ सभी फसलों का समर्थन मूल्य बढाया जाए
§ जिन किसानों पर मुकदमा दर्ज हुआ है, उसे वापस लिया जाए
§ स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू की
जाए
§ बीमा कंपनियां समय पर क्लेम पास करें
और अटके हुए मुआवजे जल्द मिलें
सरकार
की घोषणा
मध्य
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से आठ रुपए प्रति किलोग्राम
प्याज खरीदने के साथ एक हजार करोड़ रुपए का मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाने का ऐलान
किया है।
स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें
v सिफारिशों में कहा गया है कि किसानों
की जितनी लागत आती है उससे 50 फीसदी ज्यादा मिलनी चाहिए।
v चकबंदी के बाद बची और बंजर जमीन
किसानों में बांटी जाए।
v गैर कृषि कार्यों के लिए खेती और जंगल
की जमीन कॉर्पोरेट्स को ना दी जाए।
v खेती की जमीन की बिक्री रेगुलेट करने
के लिए सिस्टम बने।
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