वॉनाक्राय रैनसमवेयर हमला


वॉनाक्राय एक रैनसमवेयर मैलवेयर टूल है जिसका प्रयोग करते हुए मई 2017 में एक वैश्विक रैनसमवेयर हमला हुआ। रैनसम अंग्रेजी शब्द है जिसका अर्थ फिरौती होता है। इस साइबर हमले के बाद संक्रमित कंप्यूटरों ने काम करना बंद कर दिया उन्हें फिर से खोलने के लिए बिटकॉइन के रूप में 300-600 डॉलर तक की फिरौती की मांग की गई।
वॉनाक्राय रैनसमवेयर कंप्यूटर पर फाइलों को लॉक करता है और उनको इस तरह से एन्क्रिप्ट करता है कि यूजर द्वारा उन तक नहीं पहुंचा जा सकता। यह माइक्रोसॉफ्ट के व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम को लक्ष्य बनाता है। जब कोई सिस्टम संक्रमित होता है तो पॉप-अप विंडो $ 300 की फिरौती राशि का भुगतान करने के निर्देशों के साथ दिखाई देती है। भुगतान को केवल बिटकॉइन में ही स्वीकार किया जाता है।
ब्रिटेन, अमेरिका, चीन, रूस, स्पेन, इटली, वियतनाम समेत कई अन्य देश इस साइबर हमले से प्रभावित हुए। हैकर्स ने अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी जैसी तकनीक का इस्तेमाल कर इतने बड़े पैमाने पर साइबर हमला किया। माना जा रहा है कि अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी जिस तकनीक का इस्तेमाल करती थी वह इंटरनेट पर लीक हो गई थी और हैकर्स ने उसी तकनीक का इस्तेमाल किया।
ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) इससे बुरी तरह प्रभावित हुई है और मरीजों के ऑनलाइन रिकॉर्ड पहुंच के बाहर हो गए। ब्रिटेन के अस्पतालों में पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल हो रहा था इस वजह से यह साइबर हमले से ज्यादा प्रभावित हुआ। ब्रिटेन के कई अस्पताल विंडोज XP सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहे थे जिसे 2001 में लॉन्च किया गया था। बजट में कमी की वजह से हेल्थ सर्विस के ऑपरेटिंग सिस्टम को अपडेट नहीं किया गया था।

दुनिया के कई देशों को प्रभावित करने वाले साइबर हमले का भारत पर कोई गंभीर असर नहीं हुआ हालांकि केरल व आंध्र प्रदेश में इसके कुछ मामले सामने आए। गृह मंत्रालय ने इस संबंध में एडवाइजरी जारी कर देश भर में कई एटीएम को बंद करने का फैसला लिया। भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को अपने सिस्टम को वॉनाक्राय से बचाने के लिए एटीएमों में सॉफ्टवेयर को अपडेट करने का निर्देश दिया क्योंकि इस वायरस ने दुनिया भर में भुगतान प्रणाली को अपनी चपेट में लिया है। विदित हो कि साल 2016 में एक अन्य वायरस हमले की चपेट में देश के 3.2 लाख डेबिट कार्ड आए थे।

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