वस्तु एवं सेवा कर सरल व्याख्या


सरकार की योजना वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को 1 जुलाई 2017 से लागू करने की है। मई 2017 में श्रीनगर में संपन्न हुई जीएसटी परिषद् की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी दरों की घोषणा की।

प्रभाव
स्वास्थ्य और शिक्षा को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने का फैसला किया गया है। पेट्रोल-डीजल पर भी जीएसटी लागू नहीं होगा। वहीं बाकी वस्तुओं व सेवाओं के लिए 5,12,18 और 28 प्रतिशत की दर तय की गई हैं। 1205 वस्तुओं की कर की दर और छूट की सूची को अंतिम रूप दिया गया है। अनाज, विशेष रूप से गेहूं और चावल की कीमत नीचे आ जाएगी क्योंकि उन्हें जीएसटी से छूट मिलेगी। वर्तमान में कुछ राज्यों द्वारा उन पर मूल्यवर्धित कर (वैट) लिया जाता है।
जिन वस्तुओं की सूची जारी की गई है उनमें से 81 प्रतिशत वस्तुओं की कीमतों पर 18 प्रतिशत तक कर लगेगा। इनमें कई ऐसी वस्तुएं हैं जिन पर 28 प्रतिशत कर लगता था जो अब 18 प्रतिशत हो जाएगा। इससे रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजें सस्ती हो जाएंगी। दूरसंचार व वित्तीय सेवाओं पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगेगा। सोने-चांदी और उससे बने आभूषणों के लिए एक विशेष दर होगी जो अभी तय नहीं हुई है।
बहु उपयोगी कोयले पर 11.69 प्रतिशत की जगह नई व्यवस्था में कर 5 प्रतिशत होगाशीतल पेय और कारों को उच्च कर श्रेणी में रखा गया है, जिन पर 28 प्रतिशत कर लगेगा। उच्च कर के अलावा छोटी कारों पर एक प्रतिशत उपकर, मध्यम स्तर की कारों पर तीन प्रतिशत और लक्जरी कारों पर 15 प्रतिशत उपकर लगेगा। सिनेमा हॉल, जुआघर, होटल घुड़दौड़ जैसे उपक्रमों भी उच्च कर श्रेणी के दायरे में आएंगे। तंबाकू उत्पादों पर लगने वाले उपकर में वृद्धि की गई है।
दंड का प्रावधान
इसमें दंड की भी व्यवस्था की गई है। तीन महीने के भीतर कर न जमा करने पर कई तरह की सजा का भी प्रावधान है जिनमें अर्थदंड से लेकर कारावास तक शामिल है। दूसरी बार या बार-बार गलती मिलने पर पांच साल का कारावास और भारी जुर्माना हो सकता है। अगर संस्था या कंपनी द्वारा गलती की जाती है तो उसके निदेशक समेत अन्य पदाधिकारियों को दंडित किया जाएगा।
विकास क्रम
भारत में इसका विचार अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा साल 2000 में लाया गया। यूपीए सरकार के तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम द्वारा मई 2007 में जीएसटी के लिए राज्यों के वित्त मंत्रियों की संयुक्त समिति का गठन कर वर्ष 2010 से इसे लागू करने की घोषणा की गई।
राज्यों के बीच विरोधाभास होने पर अप्रैल 2010 से कांग्रेस सरकार इसे लागू कराने में विफल रही। तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा मार्च 2011 में जीएसटी से संबंधित 115वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया जो पारित नहीं हो सका। वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी लागू करने के लिए 122वां संविधान संशोधन विधेयक दिसंबर 2014 में संसद में पेश किया गया जिसे संसद द्वारा पारित कर दिया गया है।
स्वरूप
जीएसटी केंद्र और राज्यों द्वारा लगाए गए 20 से अधिक अप्रत्यक्ष करों के एवज में लाया जा रहा है। फिलहाल केंद्र सरकार द्वारा कई अलग-अलग वस्तुओं पर उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त सीमा शुल्क विशेष अतिरिक्त शुल्क जैसे कई अलग-अलग कर लगाए जाते हैं और सेवाओं पर सेवा कर की व्यवस्था है। वहीं राज्य सरकारों द्वारा वैट, केंद्रीय बिक्री कर, खरीद कर, मनोरंजन कर, लॉटरी कर, चुंगी कर प्रवेश कर जैसे अलग-अलग कर लगाए जाते हैं। इनके अलावा केंद्र और राज्यों द्वारा अलग-अलग प्रकार के उपकर और अधिभार भी लगाए जाते हैं। जीएसटी लागू होने के बाद ये कर खत्म हो जाएंगे।
जीएसटी लागू होने के बाद वस्तुओं एवं सेवाओं पर केवल तीन तरह के कर वसूले जाएंगे। पहला सीजीएसटी यानी सेंट्रल जीएसटी जो केंद्र सरकार वसूलेगी। दूसरा एसजीएसटी यानी स्टेट जीएसटी जो राज्य सरकार अपने यहां होने वाले कारोबार पर वसूलेगी। कोई कारोबार अगर दो राज्यों के बीच होगा तो उस पर आईजीएसटी यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी वसूला जाएगा। इसे केंद्र सरकार वसूल करेगी और उसे दोनों राज्यों में समान अनुपात में बांट दिया जाएगा।
जीएसटी के तहत उन सभी व्यवसायी, उत्पादक या सेवा प्रदाता को पंजीकृत होना होगा जिन की वर्ष भर में कुल बिक्री का मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित एक निश्चित मूल्य से ज्यादा है। वर्तमान समय में देश के अधिकांश राज्यों में 10 लाख रुपए से ऊपर वाले व्यापारियों को वैट भरना पड़ता है। जीएसटी में विशेष श्रेणी के पहाड़ी इलाकों वाले राज्यों को छोडकर शेष राज्यों में यह सीमा 20 लाख रुपए कर दी गई है। जीएसटी में व्यवसायियों को मुख्य रूप से तीन अलग अलग प्रकार के टैक्स रिटर्न भरने होंगे जिसमें इनपुट टैक्स, आउटपुट टैक्स और एकीकृत रिटर्न शामिल हैं।
जीएसटीएन
वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) के जरिए जीएसटी की पूरी प्रणाली को संवर्धन मिलेगा। सभी करदाताओं के लिए रजिस्ट्रेशन, रिटर्न व पेमेंट आदि से जुड़ी सभी सेवाओं को जीएसटीएन के जरिए प्राप्त किया जा सकेगा जिससे जीएसटी का अनुपालन ज्यादा आसान और पारदर्शी तरीके से हो सकेगा।
लाभ
जीएसटी केवल अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत करेगा। वर्तमान में एक ही वस्तु पर विभिन्न प्रकार के अलग-अलग कर लगते हैं लेकिन जीएसटी के लागू होने से पूरे भारत में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लगेगा जिससे वस्तुओं और सेवाओं की लागत में कमी व स्थिरता आएगी। हालांकि इससे सेवाओं की लागत बढ़ जाएगी।

जीएसटी से अर्थव्यवस्था में व्यापक बदलाव की संभावना है। नई कर व्यवस्था में सरल टैक्स अनुपालन, टैक्स पर टैक्स की समाप्ति, अंतर्राज्यीय कारोबार में सहजता, कीमतों में कटौती और कर आधार में वृद्धि की उम्मीद है। इसके टेक्नोलॉजी संचालित होने के कारण ज्यादा पारदर्शिता आएगी।

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