उच्चतम
न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बलबीर सिंह चौहान (Justice Balbir Singh Chauhan) को 21वें विधि आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह पद पिछले साल
सितंबर से खाली था। न्यायमूर्ति चौहान इस समय कावेरी नदी
जल विवाद न्यायाधिकरण का नेतृत्व कर रहे हैं। मई 2009 से जुलाई 2014 के बीच उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रहे
न्यायमूर्ति चौहान जुलाई 2008 से मई 2009 के
बीच ओडिशा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी थे। विदित हो कि पिछले वर्ष सितंबर
महीने में कानून मंत्रालय ने आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री
कार्यालय को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के 48 पूर्व न्यायाधीश के नाम की सूची भेजी थी।
गुजरात
उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि आर. त्रिपाठी को विधि आयोग का
सदस्य नियुक्त किया गया है। वह पिछले साल न्यायाधीश के तौर पर सेवानिवृत्त हुए थे।
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 9 सितंबर 2015 को
सम्पन्न मंत्रिमंडल की बैठक में 21वें विधि आयोग के गठन को मंजूरी दी थी। 21वें विधि आयोग का कार्यकाल 1 सितम्बर 2015 से 31 अगस्त 2018 तक, यानी तीन वर्षों का होगा। 21वें विधि आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष सहित चार पूर्णकालिक सदस्य
होंगे। अंशकालिक सदस्यों की संख्या 5 से अधिक नहीं होगी।
कार्य
v केंद्र सरकार द्वारा उल्लिखित या
स्वमेव आधार पर विधि संबंधी अनुसंधान करेगा।
v भारत में मौजूद कानूनों की समीक्षा
करेगा ताकि उनमें सुधार किया जा सके और नए कानून लागू किए जा सकें।
v कानूनी प्रक्रियाओं में विलंब को दूर
करने, मुकदमों को जल्द निपटाने और मुकदमे के
खर्चों में कमी इत्यादि संबंधी न्याय प्रणाली में सुधारों के लिए अध्ययन और
अनुसंधान करेगा।
v अप्रासंगिक कानूनों की पहचान करना और
अनावश्यक कानूनों को रद्द करने की सिफारिश करना।
v नीति निर्देशक तत्वों के क्रियान्वनयन
के लिए आवश्यक नए कानूनों को लागू करने के संबंध में सुझाव देना।
v भारतीय दंड संहिता के दुरुपयोग एवं
मनमाने इस्तेमाल के आरोपों के बीच उसमें संशोधन की सिफारिश करना।
v विधि मंत्रालय ने आयोग से आईपीसी की
धारा 124ए (देशद्रोह) के प्रावधानों के
इस्तेमाल के अध्ययन की अपील की है।
विधि आयोग
स्वतंत्र
भारत का प्रथम विधि आयोग वर्ष 1955 में गठित हुआ था और भारत के तत्कालीन महान्यायवादी एम.सी. सीतलवाड़
इसके अध्यक्ष थे। वर्ष 1955 से 1 सितम्बर 2012 तक 20 विधि आयोग गठित हो चुके हैं। विधि आयोग का
कार्यकाल 3 वर्ष का होता है। विधि आयोग एक गैर
सांविधिक निकाय है जो केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के करीबी समन्वय में तथा
उसके सामान्य निर्देशों के अंतर्गत कार्य करता है। विधि आयोगों के विचारार्थ विषय
भिन्न-भिन्न रहे हैं। 20वें
विधि आयोग के अध्यक्ष दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश न्यायमूर्ति अजीत
प्रकाश शाह थे।
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