आर.एम. लोढ़ा समिति


भारतीय क्रिकेट प्रशासन में सुधार के मुद्दे पर सिफारिश प्रदान करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर गठित तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट 4 जनवरी 2016 को सर्वोच्च न्यायालय को सौंप दी। सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.एम. लोढ़ा इस समिति के प्रमुख थे। इस समिति में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अशोक भान और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) आर.वी. रवींद्रन भी शामिल थे। इस रिपोर्ट की अब सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ समीक्षा करेगी। पीठ यह फैसला करेगी कि बीसीसीआई इन सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य है या नहीं।

प्रमुख सिफारिशें

Ø  इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) तथा भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के लिए अलग-अलग गवर्निंग संस्थाएं हों।
Ø  आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल को सीमित स्वायत्ता प्रदान की जाए।
Ø  क्रिकेट में सट्टेबाजी को वैधानिक मान्यता प्रदान की जाए।
Ø  क्रिकेट के प्रशासनिक पदों पर एक व्यक्ति एक पदका सिद्धांत हो तथा प्रॉक्सी मतदान पर पाबंदी लगे।
Ø  बीसीसीआई में किसी भी मंत्री अथवा सरकारी अधिकारी/कर्मी को कोई पद न मिले।
Ø  बीसीसीआई को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के दायरे में लाया जाए।
Ø  बीसीसीआई में एक संचालन समिति का गठन हो जिसकी अध्यक्षता पूर्व गृह सचिव जी.के. पिल्लई करें तथा इसमें मोहिन्दर अमरनाथ, अनिल कुंबले और डायना एदुलजी को सदस्य बनाया जाए।
Ø  खिलाड़ियों को संघ बनाने की अनुमति मिले।
Ø  हर राज्य से एक क्रिकेट संघ ही बोर्ड का सदस्य हो और उसे मतदान का अधिकार हो।
Ø  अन्य टीमों जैसे सेना, क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया, नेशनल क्रिकेट क्लब आदि को एसोसिएट का दर्जा दिया जाए। इन टीमों को मतदान का अधिकार नहीं होना चाहिए।
Ø  पदाधिकारियों की नियुक्ति के नियम कड़े हों। उम्मीदवारों की उम्र 70 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
Ø  बोर्ड के अध्यक्ष पद के लिए तीन वर्ष के दो कार्यकाल होंगे। वह एक बार अध्यक्ष चुने जाने के बाद किसी अन्य पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकता। किसी भी बीसीसीआई पदाधिकारी को लगातार दो से अधिक कार्यकाल तक नहीं रहने दिया जाए। किसी भी व्यक्ति को तीन से अधिक कार्यकाल के लिए पदाधिकारी न बने रहने दिया जाए।

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