कॉल ड्रॉप पर क्षतिपूर्ति


भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने कॉल ड्रॉप होने की स्थिति में सेवा प्रदाताओं से उपभोक्ताओं को क्षतिपूर्ति दिलाने का प्रावधान किया गया है। यह प्रावधान 1 जनवरी 2016 से लागू होगाट्राई कॉल ड्रॉप के लिए अधिकतम 2% का मानक रखता है। व्यवहार में कई कंपनियों द्वारा इस मानक का उल्लंघन किया जा रहा है जिससे उपभोक्ताओं को असुविधा का सामना करना पड़ता है। उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण हेतु ट्राई ने दूरसंचार उपभोक्ता संरक्षण (नौवां संशोधन) विनियमन 2015’ को  विनियमित किया है।
सेवा प्रदाता इस विनियम का विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि कॉल ड्राप की समस्या के मूल में आर्थिक कारक नहीं अपितु तकनीकी एवं राजनैतिक/प्रशासनिक कारक हैं। कम्पनियों का मानना है कि आर्थिक मुआवजे से निरर्थक आर्थिक हानि होगी क्योंकि कॉल ड्रॉप का बड़ा हिस्सा उनके नियंत्रण से बाहर है। कॉल ड्रॉप प्रारंभिक नेटवर्क, अंतिम नेटवर्क तथा उपभोक्ता के मोबाइल में से किसी में भी समस्या से हो सकती है। परंतु, भुगतान सेवा प्रदाता को करना होगा जो उसके व्यावसायिक हितों के प्रतिकूल होगा। कंपनियों की चिंता इस बात को लेकर भी है कि उपभोक्ता आर्थिक लाभ हेतु जानबूझ कर कॉल ड्रॉप को अंजाम दे सकते हैं।
संबंधित तथ्य
v  मोबाइल टेलीफोन सेवा प्रदान करने वाली कंपनी को प्रत्येक ड्रॉप कॉल के लिए उपभोक्ता के खाते में (बैलेंस में) एक रुपए क्रेडिट करना होगा। यह क्रेडिट उपभोक्ता के एकाउंट में दिन भर में अधिकतम तीन ड्रॉप हुए कॉलों के लिए होगा।
v  कॉल ड्रॉप होने की स्थिति में उपभोक्ता के खाते में क्रेडिट की गयी राशि का विवरण उपभोक्ता को एसएमएस के माध्यम से चार घंटे के अंदर सूचित करना अनिवार्य है।
v  पोस्ट पेड उपभोक्ताओं को क्रेडिट का विवरण अगले बिल में उपलब्ध कराया जाएगा।

v  ट्राई कंपनियों के कॉल ड्रॉप की समस्या को न्यूनतम करने हेतु उठाये गये कदमों की निगरानी करेगा और यदि आवश्यक हुआ तो छह महीने बाद समीक्षा करेगा।

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