दिल्ली जन लोकपाल विधेयक



मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाले दिल्ली मंत्रिमंडल ने 18 नवम्बर 2015 को दिल्ली जन लोकपाल विधेयक, 2015 को मंजूरी प्रदान की। विधेयक के अनुसार भ्रष्टाचार निरोधक कानून, 1988 के तहत आरोपों की जांच हेतु एक स्वतन्त्र प्राधिकार का गठन किया जाएगा। इसके दायरे में मुख्यमंत्री का कार्यालय भी शामिल होगा। विधेयक के मसौदे में अधिकतर प्रावधान उत्तराखंड लोकायुक्त विधेयक, 2011 के अनुसार ही रखे गये हैं।
विशेषताएं
  • लोकपाल में एक अध्यक्ष एवं दस सदस्य शामिल होंगे। लोकपाल का चयन एक पैनल द्वारा किया जाएगा। लोकपाल स्वयं किसी भ्रष्टाचार सम्बन्धी केस की जांच आरंभ कर सकता है अथवा किसी भी व्यक्ति द्वारा शिकायत दर्ज की जा सकती है।
  • इसके अनुसार समयबद्ध तरीके से जांच करायी जाएगी जिसमें अधिकतम छह महीने में जांच पूरी की जाएगी तथा अधिकतम छह महीने में ट्रायल समाप्त किया जाएगा।
  • यह प्राधिकरण को अधिकारियों द्वारा भ्रष्ट तरीकों से अर्जित संपत्ति को संलग्न करने की अनुमति देता है।
  • कम से कम छह महीने एवं अधिकतम 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है। विशेष मामलों में भ्रष्ट अधिकारी को उम्रकैद की सजा दी जा सकती है। इसके दायरे में दिल्ली पुलिस, दिल्ली विकास प्राधिकरण एवं नगर निग्म निकाय भी आएंगे।
  • प्रोत्साहन तौर पर ईमानदार अधिकारियों के लिए विशेष पुरस्कार की व्यवस्था की गयी है।

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