बिहार चुनाव में पहली बार नोटा चिन्ह


साल 2013 में उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद निर्वाचन आयोग द्वारा नोटा (None of the Above) का बटन ईवीएम पर आखिरी विकल्प के रूप में जोड़ा गया था। निर्वाचन आयोग ने ईवीएम पर काले रंग के क्रॉसके रूप में नोटा चिन्ह को शामिल किया है। इस चिह्न का डिजाइन नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद ने आयोग के लिए तैयार किया है। बिहार चुनाव में पहली बार नोटाके इस चिह्न का इस्तेमाल ईवीएम और मतपत्रों पर होगा।
आयोग ने नोटा चिह्न पेश करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय की ओर से 27 सितंबर 2013 को इस संबंध में आदेश जारी किया गया था। इसके बाद आयोग की ओर से नोटा को 11 अक्तूबर 2013 को लागू किया गया था, लेकिन इसका कोई चिह्न नहीं था। आयोग की ओर से खासतौर पर यह चिन्ह अन्य चुनावी चिह्नों की तरह पेश किया जा रहा है। इस चिह्न के जरिए मतदाता नोटा की पहचान और अपने इस अधिकार की पहचान आसानी से कर सकेंगे। आयोग ने कहा कि नोटा का चिह्न 2015 के बाद से सभी चुनावों में सभी ईवीएम और मतपत्रों पर होगा।
नोटा
भारतीय लोकतंत्र हर नागरिक को मतदान का अधिकार देता है। चुनाव के दौरान हर मतदाता को अपने पसंद के किसी एक उम्मीदवार को मत देना होता है, लेकिन अगर किसी मतदाता को उसके क्षेत्र में खड़ा कोई उम्मीदवार पसंद नहीं है तो वह नोटाके जरिये सभी उम्मीदवारों को नापसंद कर सकता है। साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में करीब 60 लाख लोगों ने नोटाका इस्तेमाल किया था। नोटा से यह पता नहीं लगता कि मतदाताओं ने किसे नापंसद किया है।
मतगणना के दौरान नोटा मतों की गिनती उसी प्रकार की जाती है जैसे उम्मीदवारों के मतों की गिनती होती है, लेकिन किसी भी स्थिति में इन मतों की वजह से चुनाव निरस्त नहीं होता है। नोटा मतों का इस्तेमाल हार या जीत के लिए नहीं किया जाता है। यदि किसी चुनाव क्षेत्र में सभी उम्मीदवारों से अधिक मत नोटा को मिल जाते हैं तो भी सबसे अधिक मत पाने वाला उम्मीदवार ही विजयी होता है।
कानूनी दृष्टि से नोटा अयोग्य मत हैं जिनका कोई मूल्य नहीं है। चुनाव में हार या जीत का फैसला योग्य वोटों के आधार पर ही होता है, चाहे उम्मीदवार को सिर्फ एक वोट ही क्यों न मिला हो। यहां तक कि उम्मीदवारों की जमानत जब्त करने के लिए भी नोटा वोटों को नहीं माना जाता। जमानत जब्त करने के लिए कुल पड़े योग्य वोटों का 1/6 हिस्सा ही गिना जाता है।

कोलंबिया, यूक्रेन, ब्राजील, बांग्लादेश, फिनलैंड, स्पेन, स्वीडन, चिली, फ्रांस, बेल्जियम और यूनान आदि देशों में नोटा की व्यवस्था भारत से पहले से लागू है।

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