रक्षा
मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 5 सितंबर 2015 को पूर्व सैनिकों की करीब 40 साल पुरानी लंबित मांग वन रैंक वन
पेंशन (ओआरओपी) का ऐलान किया। इस पर 8 से 10 हजार करोड़ का सालाना खर्चा होगा। इस योजना की घोषणा फरवरी 2014 में हो चुकी थी लेकिन इसके विभिन्न
आयामों के अपूर्ण होने के कारण इसे लागू नही किया गया था। ओआरओपी का उद्देश्य देश की सशस्त्र सेनाओं में अपनी
सेवा देकर एक ही पद से सेवानिवृत्त हुए समान समयावधि की सेवा देने वाले लोगों के
मध्य पेंशन विसंगति को समाप्त करना है। ओआरओपी से करीब 26 लाख सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों और छह लाख से अधिक युद्ध
विधवाओं को तत्काल लाभ होगा।
ओआरओपी
का अर्थ है कि एक ही रैंक पर, एक ही समयवधि तक सेवा में रहने के बाद सेवानिवृत होने वाले सैनिकों
की पेंशन भी एक ही होगी। वर्तमान में पूर्व सैनिक सेवानिवृत्त होने के समय के अनुसार पेंशन प्राप्त करते
हैं जो कि एकसमान नहीं है।
मुख्य
बिंदु
Ø सभी सैन्य इकाइयों के पूर्व सैनिकों को
1 जुलाई 2014 से इसका लाभ मिलेगा।
Ø समान कार्यकाल, समान पद पर समान पेंशन की व्यवस्था की
गई है।
Ø हर पांच साल में पेंशन की समीक्षा होगी।
सेवानिवृत्त होने वाले सभी सैन्य कर्मियों की पेंशन फिर से निर्धारित की जाएगी तथा
वर्ष 2013 की अधिकतम एवं न्यूनतम पेंशन के आधार
पर इसकी गणना की जाएगी। औसत से अधिक पेंशन प्राप्त करने वाले
पेंशन भोगियों की पेंशन बनायी रखी जाएगी
Ø पूर्व सैनिकों को चार छमाही किश्तों में एरियर का पैसा दिया जाएगा।
Ø सैनिकों की विधवाओं को एकमुश्त एरियर
दिया जाएगा।
Ø स्वेच्छा से रिटायरमेंट लेने वाले
सैनिकों को भी ओआरओपी का लाभ मिलेगा।
Ø ओआरओपी को लागू करने से संबंधित
विवादों के लिए एक सदस्यीय न्यायिक समिति बनेगी।
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