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सितंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की
अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी रर्बन मिशन (Shyama Prasad Mukerjee
Rurban Mission: SPMRM) को मंजूरी दी। इस योजना का उद्देश्य
ग्रामीण इलाकों में शहर जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। इस योजना के लिए 5,142
करोड़ रुपए की मंजूरी मिली है। इसकी घोषणा 2015-16 के बजट में की गई थी। केंद्र सरकार
कुल खर्च का 30 प्रतिशत वहन करेगी। यह मिशन यूपीए सरकार की
योजना पूरा (ग्रामीण इलाकों में शहरी सुविधाओं के प्रावधान , पीयूआरए) की जगह लेगा।
संबंधित तथ्य
यह मिशन आर्थिक गतिविधियों और कौशल विकास सहित ग्रामीण क्षेत्रों में
एकीकृत परियोजना आधारित बुनियादी सुविधाओं देने के लिए है। मिशन के तहत गांवों में
बिजली, पानी, सड़क और
स्वास्थ्य की
सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
इस मिशन के जरिए गांवों को क्लस्टर की तर्ज पर विकसित किया जाएगा और
एक क्लस्टर की आबादी 25-50 हजार तक होगी। पहाड़ी और मरूस्थलीय क्षेत्रों में
क्लस्टर पांच हजार से से पंद्रह हजार की जनसंख्या पर बनेगा। अपने इन क्लस्टरों से
आर्थिक गतिविधियों, कौशल
विकास, स्थानीय उद्यमिता के साथ ही कई सुविधाएं
मिलेंगी ताकि स्मार्ट गांवों का एक क्लस्टर बन सके। इस योजना के तहत राज्य सरकारें
ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा क्रियान्वयन के लिए तैयार रूपरेखा के अनुरूप
क्लस्टरों की पहचान करेगी। ऐसे विभिन्न ग्राम-समूह सभी राज्यों और केंद्र शासित
प्रदेशों में बनाए जाएंगे। इन्हें रर्बन (रूरल+अर्बन) समूह कहा जाएगा।
इस मिशन के तहत अगले तीन वर्षों में 300 रर्बन समूहों के विकास का
लक्ष्य रखा गया है।
इस योजना को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। इस योजना के तहत गांवों
के चयन की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी। चयनित गांवों में ठोस अवशिष्ट
प्रबंधन, कौशल विकास और आईटी की व्यवस्था मजबूत करने पर
विशेष जोर दिया जाएगा।
इस मिशन का लक्ष्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विकास
क्षमताओं का उपयोग करना है। इसका मकसद गांव को स्मार्ट गांव में बदलना, स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार
प्रदान करना, महानगरों की ओर पलायन रोकना और ग्रामीण
क्षेत्रों में आर्थिक विकास को गति देना है। इससे पूरे ग्रामीण क्षेत्र में विकास को गति
मिलेगी।
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