नोबेल पुरस्कार 2015


अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार
साल 2015 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार ब्रिटिश अर्थशास्त्री एंगस डिटॉन को दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार 'खपत, गरीबी और कल्याण' के विषयों के विश्लेषण के लिए दिया गया है। डिटॉन अमेरिका के प्रिंसटन विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर हैं। पिछले साल फ्रांसीसी अर्थशास्त्री जीन तिरोले को बड़ी कंपनियों, बाजार शक्ति और विनियमन के विश्लेषण के लिए यह पुरस्कार मिला था।
 पुरस्कार देने वाली संस्था रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने कहा कि डिटॉन के अनुसंधान ने अन्य अनुसंधानकर्ताओं व विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों को बताया कि बुनियादी स्तर पर गरीबी को किस तरह से समझा जाए। डिटॉन के इस शोध कार्य से विशेषकर भारत सहित दुनिया भर में गरीबी को आंकने के तरीके को नए सिरे से तय करने में मदद मिली।
भौतिकी का नोबेल पुरस्कार
इस साल भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दो वैज्ञानिकों तकाकी काजिता और आर्थर बी. मैकडोनाल्ड को दिया गया है। उन्‍हें न्‍यूट्रिनो स्पंदन की खोज करने के लिए यह पुरस्‍कार दिया गया है। मैकडोनाल्ड कनाडा के किंग्स्टन की क्वींस यूनिवर्सिटी में पार्टिकल फिजिक्स के प्रोफेसर हैं और काजिता जापान के टोक्यो यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। दोनों ने अलग अलग प्रयोगों के जरिए यह साबित किया है कि न्यूट्रिनो अपनी पहचान बदलते हैं और यह तभी संभव है जब उनमें द्रव्यमान हो।
 रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के मुताबिक यह ऐसी खोज है जिसने 'पदार्थ की सबसे आंतरिक कार्यप्रणाली को लेकर हमारी समझ को बदला है और इसने ब्रह्मांड के इतिहास, ढांचे और भविष्य को प्रभावित किया है।' सूर्य के नाभिकीय रिएक्शन से निकलने वाले ज्यादातर न्यूट्रिनो धरती तक पहुंचते हैं. प्रकाश और फोटोन के बाद हमारे ब्रह्मांड में पाए जाने वाले सबसे ज्यादा कण न्यूट्रिनो ही हैं।
2014 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार जापानी वैज्ञानिक इसामू आकासाकी, हिरोशी अमानो और जापानी अमेरिकी वैज्ञानिक शुजी नाकामुरा को मिला था। उन्होंने बेहद किफायती नीली रोशनी छोड़ने वाले डायोड की खोज की थी।
रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार
इस साल रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार संयुक्‍त रूप से तीन वैज्ञानिकों स्वीडन के थॉमस लिंडल, अमेरिका के पॉल मॉडरिश और अजीज सेंकर को दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार डीएनए की मरम्मत पर उनके अध्ययन के लिए दिया गया है। इन वैज्ञानिकों ने बताया कि कोशिकाएं किस तरह क्षतिग्रस्त डीएनए की मरम्मत करती हैं। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज का कहना है कि इन वैज्ञानिकों के अध्ययन ने इस बात को समझने में मदद की कि कैंसर जैसी परिस्थितियों में स्थिति किस तरह बिगड़ सकती है। इस जानकारी की मदद से कैंसर का नया इलाज खोजा जा सकता है।
लिंडल ने साबित किया है कि डीएनए तेजी से विघटित होता है और कोई तंत्र विघटित होते डीएनए को फिर से दुरुस्त करता है। सूर्य की पराबैंगनी किरणों और कैंसर संबंधी तत्वों का उस पर बुरा असर पड़ता है। सेंकर ने ऐसा तंत्र बनाया जिससे पता चला कि कोशिकाएं कैसे पराबैंगनी प्रकाश से क्षतिग्रस्त हुए डीएनए को दुरुस्त करती हैं। मॉडरिश ने यह साबित किया कि कोशिकाएं कैसे विभाजन के दौरान होने वाली गलतियों को सुधारती हैं।
चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार
चिकित्सा के क्षेत्र में इस साल का नोबेल पुरस्कार परजीवी से होने वाले संक्रमण से लड़ने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले तीन वैज्ञानिकों विलियम सी. कैम्पबेल, सातोशी ओमूरा और यूयू तू को दिया गया है। इन तीन वैज्ञानिकों में चीन की यूयू तू ने मलेरिया के इलाज की नई एक दवा अर्टेमाइसिनिनकी खोज की है। इस महिला वैज्ञानिक ने चीनी पारंपरिक प्राकृतिक दवाओं के आधार पर अपनी खोज की है। आयरलैंड के कैम्पबेल और जापान के ओमूरा ने गोल कृमि से होने वाले संक्रमण के लिए नई दवा एवेरमैक्टिनकी खोज की है।
स्वीडन के कैरोलिन्स्का इंस्टिट्यूट स्थित नोबेल असेम्बली ने कहा है कि कैम्पबेल और ओमुरा को आधी पुरस्कार राशि मिलेगी जबकि शेष आधी राशि यूयू तू को मिलेगी। नोबेल समिति ने कहा कि इन वैज्ञानिकों की खोजें उन बीमारियों से लड़ने में मददगार हैं जो दुनिया में करोड़ों लोगों को प्रभावित करती हैं।
साहित्‍य का नोबेल पुरस्कार
बेलारूस की लेखिका स्वेतलाना अलेक्सिएविच को महिलाओं के संघर्ष और साहस पर लेखन के लिए इस साल का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। उन्हें उनकी कृतियों में पूर्व सोवियत संघ में लोगों की जिंदगी के वर्णन को लेकर इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया है। साहित्य का नोबेल पुरस्कार पाने वाली वह 14वीं महिला हैं।
स्वेतलाना राजनीतिक लेखिका के रूप में जानी जाती हैं और पहली पत्रकार भी हैं जिन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनकी पहली पुस्तक ''द अनवोमनली फेस ऑफ द वॉर' थी जो द्वितीय विश्व युद्ध पर आधारित थी। इसमें उन्होंने उन रूसी महिलाओं के संघर्ष और पीड़ा का जिक्र किया जिन्होंने युद्ध में हिस्सा लिया था। उनकी अन्य पुस्तक ''द चर्नोबिल प्रेयर - क्रॉनिकल्स ऑफ द फ्यूचर'' और "सेकेंड हैंड टाइम" है।
शांति का नोबेल पुरस्‍कार
2015 का नोबेल शांति पुरस्‍कार ट्यूनीशिया की एक संस्‍था नेशनल डायलॉग क्वार्ट्रेट को दिया गया है। यह पुरस्कार ट्यूनीशिया में लोकतंत्र की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया है। साल 2011 में ट्यूनीशिया में हुए 'जैस्मिन क्रांति के बाद वहां हुई राजनीतिक हत्याओं और बड़े पैमाने पर फैली अस्थिरता के बीच इस क्वार्ट्रेट का गठन 2013 में किया गया था।
नोबेल समिति ने कहा है कि क्वार्ट्रेट ने लोगों को उस वक्त एक नया विकल्प दिया और शांति स्थापित हो सकने का भरोसा दिया, जब देश गृहयुद्ध की कगार पर था। समिति को उम्मीद है कि इनाम में दिए जाने वाले 10 लाख डॉलर से ट्यूनीशिया में लोकतंत्र को मजबूत करने में मदद मिलेगी और अन्य देशों को भी इससे प्रेरणा मिलेगी।
 पिछले साल पाकिस्तान की बाल अधिकार संघर्षकर्ता मलाला युसूफजई और भारत के कैलाश सत्यार्थी को नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था।

नोबेल पुरस्‍कार पाने वाले भारतीय

   व्यक्ति –      वर्ष   - क्षेत्र   
v  रबीन्द्रनाथ टैगोर- 1913 - साहित्य
v  चंद्रशेखर वेंकटरमन - 1930 - भौतिकी
v  हरगोबिंद खुराना – 1968 - चिकित्सा
v  मदर टेरेसा - 1979 - शांति
v  सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर - 1983 - भौतिकी
v  अमर्त्य सेन - 1998 - अर्थशास्त्र
v  राजेन्द्र कुमार पचौरी – 2007 - शांति
v  वेंकटरमण रामकृष्णन - 2009 - रसायन विज्ञान

v  कैलाश सत्यार्थी - 2014 - शांति

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