न्यायमूर्ति
जे. चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 11 अगस्त 2015 को दिए अपने एक फैसले में कहा कि सभी
सरकारी योजनाओं के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी ‘आधार कार्ड’
जरूरी
नहीं है। इसके साथ ही न्यायालय ने केंद्र सरकार को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि
इसका इस्तेमाल सिर्फ सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जा सकता है।
अपने
निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का
लाभ प्राप्त करने के लिये आधार कार्ड ऐच्छिक होगा। साथ ही न्यायालय ने आदेश दिया
कि ऐसे कार्डधारकों की कोई भी व्यक्तिगत जानकारी किसी भी प्राधिकारी के साथ साझा
नहीं की जाएगी।
न्यायालय
ने निर्देश दिया कि आधार का इस्तेमाल सरकार की ओर से चलाई जा रही खाद्यान्न योजना, केरोसिन वितरण और एलपीजी सब्सिडी पाने
के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा किसी आपराधिक मामले की जांच के लिए भी आधार को
पहचान के प्रमाण के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
वेतन, भविष्य निधि के भुगतान, विवाह और संपत्ति के पंजीकरण सहित कई
गतिविधियों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य बनाने के कुछ राज्यों के फैसलों के खिलाफ
दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायालय द्वारा यह फैसला सुनाया गया।
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