चीन की मुद्रा का अवमूल्यन


अर्थव्यवस्था की गिरती विकास दर और मुद्रा अवस्फिति का दबाव झेल रहे चीन ने कमजोर आर्थिक आंकड़े आने के बाद 11 अगस्त 2015 को अपनी मुद्रा युआन का लगभग 1.9 प्रतिशत अवमूल्यन कर दिया। चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना का कहना है कि युआन के अवमूल्यन के बाद डॉलर के मुकाबले इसकी नई विनिमय दर बाजार के कारकों का ज्यादा संतुलित चित्र दिखाती है। केन्द्रीय बैंक ने अपने इस कदम के लिये मजबूत अमेरिकी डॉलर और युआन में आती मजबूती को प्रमुख वजह बताया।
अवमूल्यन के बाद युआन लगभग तीन साल के निचले स्तर पर आ गया। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसमें दो प्रतिशत की गिरावट 1994 के बाद किसी एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। चीनी प्रशासन ने कहा कि इस बदलाव से उनकी मुद्रा बाजार के अनुरूप आगे बढ़ेगी। इस कदम को चीन की आर्थिक वृद्धि में आई नरमी के प्रति सरकार की बढ़ती चिंता के तौर पर भी देखा जा रहा है।

चीन की मुद्रा की विनिमय दर के दूसरे प्रमुख देशों के मुकाबले नीचे आने से चीन का निर्यात सस्ता होगा। विदेशों में उसके उत्पादों की बिक्री बढ़ेगी। पिछले तीन दशक के दौरान चीन की आर्थिक वृद्धि में तेजी से बढ़ते निर्यात की अहम भूमिका रही लेकिन हाल के दिनों में इसमें गिरावट आई है। जुलाई 2015 में निर्यात सालाना आधार पर 8.3 प्रतिशत घट गया। कमजोर मुद्रा की पहल से चीन के निर्यात को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। चीन के इस कदम का ऐपल जैसी बडी कंपनियों से लेकर हजारों छोटी कंपनियों प्रभावित होंगी।

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