शहरी विकास की तीन योजनाएं

केंद्र सरकार ने 25 जून 2015 को 4 लाख करोड़ रुपए लागत से शहरी भारत के कायाकल्प की तीन बड़ी योजनाओं की शुरुआत की। इनमें 100 शहरों की स्मार्ट सिटी परियोजना, 500 शहरों में शहरी रूपांतरण एवं नवीकरण के लिए अटल मिशन (अमरुत) एवं 2022 तक सबको आवास योजना शामिल हैं। ये तीनों योजनाएं राज्यों, संघ शासित प्रदेशों व शहरी निकायों के साथ एक साल तक चले गहन विचार-विमर्श के बाद तैयार की गई हैं।

स्मार्ट सिटी परियोजना : देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी में परिवर्तित किया जाएगा। इस पर पांच वर्ष में 48,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे। स्‍मार्ट शहरों के निर्माण के इस मिशन का उद्देश्‍य उपलब्‍ध परिसंपत्तियों, संसाधनों एवं बुनियादी ढांचे के कारगर इस्‍तेमाल के लिए स्‍मार्ट सोल्‍यूशन को अपनाने हेतु बढ़ावा देना है, ताकि शहरी जीवन की गुणवत्‍ता बेहतर हो सके और स्‍वच्‍छ एवं टिकाऊ माहौल सुलभ हो सके।

अमरुत मिशन : इस मिशन को ऐसे 500 शहरों एवं कस्‍बों में क्रियान्वित किया जाएगा, जहां की आबादी एक लाख या उससे ज्‍यादा है। इसके अतिरिक्त पर्यटन की दृष्टि से लोकप्रिय शहरों, मुख्य नदियों के किनारे अवस्थित शहरों, कुछ प्रमुख पर्वतीय शहरों और कुछ चयनित द्वीपों को इस मिशन के अंतर्गत रखा जाएगा। पांच वर्ष में 50,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे। अमरुत के अंतर्गत शहर के प्रत्‍येक परिवार को नल का पानी और सीवर कनेक्‍शन जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के साथ-साथ ठोस कचरा प्रबंधन, सड़कों और सार्वजनिक परिवहन पर विशेष ध्‍यान दिया जाएगा।

2022 तक सबको आवास योजना : इसका उद्देश्य वर्ष 2022 तक देश में सबको आवास उपलब्ध कराना है। इस पर सात साल में तीन लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस योजना के तहत देश में 2 करोड़ सस्ते मकान बनाए जाएंगे। ये झुग्गियों में रहने वालों व आर्थिक रूप से कमजोर तबकों (ईडब्ल्यूएस) के लिए होंगे। इसमें ईडब्ल्यूएस के आवास कर्ज पर सरकार 15 वर्ष के लिए ब्याज पर 6.5 प्रतिशत सब्सिडी देगी। इस योजना के चार स्तर होंगे - निजी क्षेत्र की भागीदारी से यथास्‍थान मलिन बस्‍ती विकास जिसमें भूमि का इस्‍तेमाल स्रोत के रूप में किया जाएगा, ऋण से जुड़ी सब्सिडी के जरिये सस्‍ते मकान, निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी से सस्‍ते मकान और लाभार्थी की अगुवाई में निर्माण/ वृद्धि।

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