ईरान का परमाणु समझौता

ईरान, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों तथा जर्मनी के बीच 14 जुलाई 2015 को ईरान के परमाणु कार्यक्रम समझौते पर सहमति बनी। यह ऐतिहासिक समझौता ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में हुआ। इस समझौते को वियना समझौतानाम दिया गया है। वियना समझौते को अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अभिपुष्टि किए जाने की आवश्यकता है। यह समझौता अभिपुष्टि के 90 दिनों के बाद अस्तित्व में आएगा।

वियना समझौते के मुख्य बिंदु

·         ईरान पर हथियार खरीदने के लिए लगाया गया प्रतिबंध पांच वर्षों के लिए जारी रहेगा जबकि मिसाइल प्रतिबंध आठ साल तक बने रहेंगे।
·         ईरान को तेल और गैस के कारोबार, वित्तीय लेन देन, उड्डयन और जहाज़रानी के क्षेत्रों में लागू प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी।
·         ईरान के किसी भी परमाणु संयंत्र को न ही बंद किया जायेगा और न ही उसे नष्ट किया जाएगा। ईरान संवर्धित यूरेनियम के भंडार को आंशिक रूप से अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच सकेगा।
·         ईरान को उन्नत आईआर-6 और आईआर-8 मशीन सहित सभी प्रकार के सेंट्रीफ्यूज पर शोध करने और उसे विकसित करने की छूट मिली रहेगी।
·         समझौते में परिष्कृत यूरेनियम भंडार को 96 प्रतिशत तक घटाना और अपने सभी संयंत्र को अतंरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के लिए खोलना शामिल है।

·         प्रतिबंध तभी हटाए जाएंगे जब अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए ) यह रिपोर्ट देगी कि ईरान ने वादा पूरा करना शुरू कर दिया है।

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