7वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन


रूस के उफा शहर में 7वां ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन 9 जुलाई 2015 को संपन्न हुआ।7वें ब्रिक्स सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति सी जिनपिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा और ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रोसेफ ने भाग लिया। ब्रिक्स सम्मेलन 2015 का विषय-ब्रिक्स  भागीदारी : वैश्विक विकास के लिए शक्तिशाली कारक था। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन स्तर की बैठक के अलावा नेताओं ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और यूरेशियन आर्थिक संघ  के सदस्यों के साथ शिखर सम्मेलन का आयोजन किया।

छठा ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ब्राजील के फोर्टलेजा में आयोजित किया गया था। आठवां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन नई दिल्ली में वर्ष 2016 में आयोजित किया जाएगा। ब्रिक्स की पहली शिखर बैठक का आयोजन वर्ष 2009 में रूस के येकातेरिनबर्ग शहर हुआ था जबकि दूसरा शिखर सम्मेलन वर्ष 2010 में ब्रासीलिया में, तीसरा वर्ष  2011 में चीन के सान्या शहर में, चौथा वर्ष 2012 में नई दिल्ली में और पांचवां वर्ष 2013 में डरबन में आयोजित किया गया था।
ब्रिक्स देशों ने ब्रिक्स केंद्रीय बैंक कोष हेतु 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आपसी सहायता समझौते पर 7 जुलाई 2015 को हस्ताक्षर किए। ब्रिक्स केंद्रीय बैंक कोष की स्थापना ब्रिक्स समूह के देशों ने की है ताकि डॉलर प्रवाह में किसी तरह की समस्या की स्थिति में एक दूसरे की मदद कर सकें। इसमें अधिकतम योगदान (41 अरब डॉलर) चीन करेगा। भारत इस कोष में 18 अरब डॉलर का योगदान करेगा और इतना ही योगदान ब्राजील तथा रूस करेंगे। दक्षिण अफ्रीका इसमें पांच अरब डॉलर का योगदान करेगा। ब्रिक्स देश भुगतान संतुलन में समस्या की स्थिति में इससे धन निकाल सकेंगे। यह कोष 30 जुलाई से परिचालन में आएगा।
सम्मेलन के एजेंडे में राजनीतिक और आर्थिक मुद्दे शामिल रहे लेकिन मुख्य बल आर्थिक सहयोग पर रहा। इसमें उभरती चुनौतियों का जवाब देने में समन्वित प्रयासों को बढ़ावा देने, शांति और सुरक्षा को सुनिश्चित करने और सदस्य देशों के बीच एक स्थायी विकास को बढ़ावा देने की बात कही गई है। अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्षेत्र में ब्रिक्स की रूचि को बढ़ावा देना, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में बहुपक्षीय वित्तीय सहयोग और सुधार, ब्रिक्स के भीतर व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाना, ब्रिक्स देशों के सामाजिक सहयोग का विस्तार करना और ब्रिक्स के प्रारूप में मानवीय सहयोग को गहरा करना जैसे मुद्दों पर इस शिखर सम्मेलन के दौरान चर्चा की गई। चीन ने सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में सदस्यता के लिए भारत के दावे का समर्थन किया।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यदि संयुक्त राष्ट्र और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में सुधार किया जाए तो सम्पूर्ण विश्व किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने जलवायु परिवर्तन को सबसे बड़ी वैश्विक चुनौती बताया। इस सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स सदस्यों के आपसी संबंधो में सुधार के लिए 'दस कदम प्रस्ताव को सदस्यों से साझा किया। दस कदम प्रस्तावके अंतर्गत निम्न बिन्दुओं को शामिल किया –
·         ब्रिक्स देश ब्रिक्स व्यापार मेलेका आयोजन करें और सर्वप्रथम इसकी मेजबानी 2016 में भारत को प्राप्त हो।
·         सदस्य देशों के आपसी सहयोग से एक रेलवे अनुसंधान केंद्र स्थापित किया जाना चाहिए।
·         सदस्यों की सर्वोच्च अंकेक्षण संस्थाएं एक दूसरे को सहयोग करें।
·         ब्रिक्स देश डिजिटल पहल करें।
·          ब्रिक्स कृषि अनुसंधान केंद्र स्थापित किया जाए ।
·          ब्रिक्स खेल परिषद् स्थापित की जाए और वार्षिक आधार पर ब्रिक्स खेल सम्मेलन आयोजित किए जाएं।
·          राष्ट्रीय विकास बैंक की पहल पर स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी परियोजना शुरू की जाए।
·          ब्रिक्स फिल्म महोत्सव को विकसित किया जाए ।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के साथ-साथ इस बार उफा में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर भेंट का भी आयोजन हुआ। 15 जून 2001 को गठित इस संगठन में चीन और रूस के अलावा कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। अब इसमें भारत और पाकिस्तान को भी पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल कर लिया गया है। कुछ प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद तकनीकी रुप से वर्ष 2016 में भारत इसका पूर्ण सदस्य बन जाएगा। भारत ने पिछले साल 2014 में दुशांबे में हुए शिखर सम्मेलन में एससीओ की सदस्यता के लिए औपचारिक रूप से आवेदन किया था। भारत 2005 से एससीओ का पर्यवेक्षक है।
ब्रिक्स को पश्चिमी औद्योगिक देशों के संगठन जी-7 को संतुलित करने वाले अनौपचारिक संगठन के रूप में देखा जाता है। ये राष्ट्र खुद भी अपने आपको थोड़ा बहुत ऐसा ही देखते हैं, लेकिन केवल थोड़ा बहुत ही। पश्चिम के खिलाफ कुछ करने की चीन में शक्ति और रूस में तो इच्छाशक्ति है, लेकिन बाकी तीनों देशों में इन दोनों की कमी है। ब्राजील, भारत और दक्षिण अफ्रीका लोकतांत्रिक देश हैं, जिनकी पश्चिम के साथ टकराव में कोई दिलचस्पी नहीं है। इसके विपरीत रूस और चीन स्वेच्छाचारी देश हैं, पश्चिम के साथ उनका रिश्ता साधन मात्र है।
विकास की दहलीज पर खड़े ब्रिक्स देशों में दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी रहती है और उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले ये देश दुनिया के 20 प्रतिशत आर्थिक उत्पादन के लिए जिम्मेदार हैं। संस्था के रूप में ब्रिक्स का उदय उभरती अर्थव्यवस्थाओं के हितों के प्रतिनिधित्व की ललक का नतीजा था। ब्रिक्स के देश विचारधारा में भले ही बहुत अलग हों, उनके हित एक जैसे हैं। ब्रिक्स को जोड़ने वाली बात राजनीतिक और सामाजिक अनुभवों का आदान-प्रदान है। ब्रिक्स के पांच देशों में दो सुरक्षा परिषद् के वीटोधारी सदस्य हैं तो तीन स्थायी सदस्य बनना चाहते हैं। भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका लोकतांत्रिक देश हैं तो चीन साम्यवादी और रूस में पिछले सालों में अधिनायकवादी ताकतें बढ़ी हैं। पांचों देशों की अर्थव्यवस्था भी विकास के विभिन्न चरणों में है। इन सब अंतरों के बावजूद एक बात समान है कि पांचों देश विकसित राष्ट्रों की कतार में शामिल होना चाहते हैं।
ब्रिक्स में सहयोग दो स्तरों पर चलता है। पहला विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श है। यह शिखर स्तर पर मुख्यतः है, लेकिन यह मंत्रियों और राजनयिकों के स्तर पर भी है। दूसरा व्यापार, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में ब्रिक्स देशों के बीच व्‍यवस्‍था को बढ़ावा दे रहा है। ब्रिक्स में विचार-विमर्श का प्रारंभिक क्षेत्र अनिवार्य रूप से, अंतरराष्ट्रीय वित्त था। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय संकट के एक साथ आने के बाद ब्रेटन वुड्स संस्थाओं और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे में सुधार उनकी मुख्य चिंता का विषय था। हालांकि, अन्य सामयिक मुद्दों भी चर्चा में होती है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा, व्यापार संरक्षणवाद और विश्व व्यापार संगठन में वार्ता परामर्श जैसे मुद्दे शामिल हैं।
ब्रिक्स समूह के 2009 में हुए पहले शिखर सम्मेलन से अब तक विश्व की भू-राजनीतिक स्थिति में काफी बदलाव आ चुका है और अनेक देशों की आर्थिक स्थिति भी काफी हद तक बदल गई है। इस समय स्थिति यह है कि रूस, जिसे ब्रिक्स और जी-8 समूह के बीच सेतु माना जाता था, यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के कारण जी-8 से बाहर किया जा चुका है। ब्रिक्स में केवल चीन और भारत ही ऐसे देश हैं जो उसके आर्थिक एजेंडे को आगे ले जा सकते हैं क्योंकि उन्हीं की अर्थव्यवस्थाएं विकास कर रही हैं।
भारत लोकतांत्रिक देश है और अपने सीमाई क्षेत्रों को छोड़कर कभी किसी सैनिक विवाद में शामिल नहीं रहा है। वह विकसित और विकासमान अर्थव्यवस्थाओं के बीच मध्यस्थता कर सकता है। उसे नेतृत्व की भूमिका निभानी होगी ताकि ब्रिक्स के संस्थान पश्चिमी वर्चस्व वाले संस्थानों को चुनौती देते न लगें। भारत का हित इसी में है कि ब्रिक्स को पश्चिमी देशों की गिरफ्त को कम करने के लिए एक कारगर समूह के तौर पर विकसित करने में मदद करे और साथ ही उसे पश्चिमी देशों के साथ टकराव के रास्ते पर बढ़ने से रोके।
ब्रिक्स बैंक स्थापित करने का प्रस्ताव नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में भारत द्वारा दिया गया था। भारत ने ही एक साथ ब्रिक्स से आर्थिक संबंधों और ब्रिक्‍स के भीतर और बाहर विकासात्मक चुनौतियों पर थिंक टैंक और व्यापार प्रकाशनों को बढ़ावा देने का विचार प्रस्तुत किया था। नव विकास बैंक के गठन के साथ ब्रिक्स के देश यही कर रहे हैं, लेकिन और आगे बढ़ना होगा और विकास के साझा हित में आपसी सहयोग को और भी बढ़ाना होगा।
ब्रिक्स द्वारा वैकल्पिक वैश्विक वित्तीय संरचना के निर्माण का प्रयास किया जा रहा है। चीन ने एक सौ अरब डॉलर की आरंभिक धनराशि से एशियाई अवसंरचना और निवेश बैंक शुरू किया है जिसमें चीन, भारत और रूस सबसे बड़े शेयरधारक हैं। जापान और अमेरिका को छोडकर सभी बडे देश इसके सदस्य बन रहे हैं। सभी देश चाहते हैं कि बुनियादी ढांचागत विकास की प्रक्रिया से होने वाले लाभ में उनका भी हिस्सा हो। जो देश विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की जकड़न से मुक्त होना चाहते हैं, वे पिछले शिखर सम्मेलन में प्रस्तावित और स्वीकृत ब्रिक्स बैंक में और अब चीन द्वारा शुरू किए गए इस बैंक में बहुत दिलचस्पी ले रहे हैं। ग्रीस का आर्थिक संकट और उसमें इन अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं की भूमिका भी उन्हें इसके लिए प्रेरित कर रही है।
ब्रिक्स की सफलता न केवल में विकास के वैकल्पिक मॉडल प्रस्‍तुत करने में है बल्कि निधि के लिए वित्तीय संस्थानों की पेशकश करने में है। ब्रिक्स दुनिया में वैश्विक बहुध्रुवीयता को मजबूत कर रहा है।





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