सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना, 2011


केंद्र सरकार ने 3 जुलाई 2015 को सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना, 2011 की रिपोर्ट जारी की। यह जनगणना ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 29 जून 2011 को शुरू की गई थी. इससे पहले क्षेत्र, समुदाय, जाति और आय वर्ग पर आधारित जनगणना 1932 में की गई थी।
इस जनगणना को तीन अलग-अलग प्राधिकरणों द्वारा तैयार किया गया है। ग्रामीण क्षेत्र में जनगणना ग्रामीण विकास विभाग द्वारा, शहरी क्षेत्रों में जनगणना आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय द्वारा और जाति जनगणना गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में भारत के महापंजीयक और भारत के जनगणना आयुक्त द्वारा की गई है।
मुख्य तथ्य
v  कुल 24.39 करोड़ परिवार हैं। इनमें से 17.91 करोड़ परिवार गांवों में रहते हैं। 2.37 करोड़ परिवार एक कमरे के कच्चे मकानों में रहते हैं। 4.21 करोड़ परिवार ऐसे हैं जिनके 25 साल से ज्यादा उम्र के सभी सदस्यों को कभी कोई शिक्षा नहीं मिल सकी।
v  65 लाख परिवार ऐसे हैं जहां किसी वजह से घर में कोई बड़ा सदस्य नहीं है। सारे सदस्य नाबालिग हैं। वहीं, 68.96 लाख परिवार ऐसे हैं जिनकी मुखिया महिला है। इनमें से सिर्फ 16 लाख परिवार ही ऐसे हैं जहां की महिला मुखिया 10 हजार रुपए/महीना से ज्यादा कमा रही हैं।
v  2.50 करोड़ परिवार यानी देश के कुल परिवारों में से सिर्फ 14% घरों का निर्वहन सरकारी या निजी क्षेत्र की नौकरियों से हो रहा है।
v  गांवों में रहने वाले 17.91 करोड़ परिवारों में से 5.39 करोड़ घर खेती के कारण चलते हैं। कुल ग्रामीण जनसंख्या के 56 प्रतिशत लोग भूमिहीन हैं जिसमें से 70 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 50 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के हैं। 4.6 प्रतिशत ग्रामीण परिवार ही आय कर अदा करते हैं।  25 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास फोन की सुविधा नहीं है।
v  जिन परिवारों के पास खेत है, उनमें से भी अधिकतर सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर हैं। 25 प्रतिशत के पास सिंचाई सुविधा नहीं है।
v  ग्रामीण भारत में 35.73 प्रतिशत लोग निरक्षर हैं। राजस्थान में सर्वाधिक 47.58 प्रतिशत और लक्षद्वीप में सबसे कम 9.3 प्रतिशत लोग निरक्षर हैं। मध्य प्रदेश की 44.19 प्रतिशत ग्रामीण आबादी अशिक्षित है। इस सूची में बिहार तीसरे स्थान पर है। हालांकि, सबसे अधिक साक्षर राज्य केरल में सिर्फ 11.38 प्रतिशत ग्रामीण आबादी निरक्षर है।

v  अखिल भारतीय स्तर पर ग्रामीण आबादी के 13.97 प्रतिशत ने प्राथमिक शिक्षा हासिल की है। वहीं 13.53 प्रतिशत ग्रामीण आबादी माध्यमिक स्तर तक पढ़ी है। देश भर में स्नातक व उच्च शिक्षा पाने वाली ग्रामीण आबादी का प्रतिशत मात्र 3.45 प्रतिशत है।

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