रिजर्व
बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) ने 8 जून 2015 को सामरिक ऋण पुनर्गठन (एसडीआर) योजना की
घोषणा की। यह योजना बैंक और गैर-बैंकिंग ऋण संस्थानों को उनके ऋणों को इक्विटी
हिस्सेदारी में परिवर्तित करने की अनुमति देती है। यह योजना पूरे भारत में सभी तरह
के बैंकों और पुनर्वित्त संस्थानों सहित सभी अनुसूचित, वाणिज्यिक, निर्यात-आयात (एक्जिम) बैंक, राष्ट्रीय आवास बैंक और नाबार्ड के लिए
लाभदायक होगी।
सामरिक ऋण पुनर्गठन योजना की विशेषताएं
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कर्ज़दार ऋण लेने के बाद यदि निर्धारित शर्तों को पूरा करने में विफल
रहता है तो ऋणदाता पुनर्गठन पैकेज के तहत अपने बकाया ऋण को बहुमत हिस्सेदारी में
परिवर्तित करने का अधिकारी होगा।
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कर्ज़दार किए गए वायदों को पूरा करने में विफल रहता है तो ऋण पुनर्गठन
योजना यह निर्धारित करती है कि ऋणदाता, कर्ज का कुछ हिस्सा या पूरे क़र्ज़ को इक्विटी में तब्दील कर सकता है।
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सामरिक ऋण पुनर्गठन योजना का उपयोग कर बैंक किसी तनावग्रस्त कंपनी की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण कर
सकते हैं।
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एसडीआर योजना के माध्यम से बैंकों को ऐसी कंपनियों का प्रबंधन अपने
हाथ में लेने का अधिकार दिया गया है जिनका कार्य निष्पादन कमजोर रहा है तथा
प्रबंधन में बदलाव की आवश्यकता है।
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यह योजना केवल
सूचीबद्ध कंपनियों के संदर्भ में ही लागू होगी। विशेष रूप से ऐसी कंपनियां जो ऋण
पुनर्गठन के बावजूद लाभ अर्जित नहीं कर पा रही हैं।
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एक से अधिक बैंकों के द्वारा अगर ऋण दिया गया है तो उस संयुक्त ऋण
को अंश पूंजी में परिवर्तित किया जा सकता है। इसमें गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं
को भी शामिल किया जा सकता है तथा सभी ऋणदाता कंपनियों की संयुक्त हिस्सेदारी 51 प्रतिशत अथवा उससे अधिक होगी जिससे
कंपनी प्रबंधन में बदलाव संभव हो जायेगा।
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