रेलवे की बेहतरी पर सुझाव देने के लिए
नरेंद्र मोदी सरकार
द्वारा नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया
गया था। समिति ने पैसेंजर ट्रेनों को चलाने के लिए प्राइवेट कंपनियों के प्रवेश की
सिफारिश के साथ ही अन्य कई सुझाव दिए हैं।
समिति की महत्वपूर्ण
अनुशंसाएं
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समिति ने सुझाव दिया है कि प्राइवेट
कंपनियों को पैसेंजर ट्रेन चलाने की मंजूरी दी जाए। इसके अलावा रेलवे के ऑपरेशन और मेंटीनेंस के लिए
निजी कंपनियों को लाए जाने की सिफारिश भी की है। पहले मालगाड़ियों के लिए प्राइवेट
सेक्टर की भूमिका पर बात होती रही है। मगर, पहली बार पैसेंजर ट्रेनों को चलाने की अनुमति देने
पर चर्चा की गई है।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि कमेटी ने रेलवे के निजीकरण की सिफारिश
नहीं की है। हालांकि, वह
प्राइवेट सेक्टर के प्रवेश की सिफारिश करती है क्योंकि इसे भारतीय रेलवे की नीति
के तहत स्वीकार किया गया है।
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समिति ने रेलवे की अलाभकारी गतिविधियों, जैसे- स्कूल, हॉस्पिटल, कैटरिंग, रियल
एस्टेट और इसके सिक्यॉरिटी सेटअप, आरपीएफ को कोर बिजनस से
अलग किए जाने का समर्थन किया है।
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रेल मंत्रालय के
प्रभाव क्षेत्र से स्वतंत्र रेलवे रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया की स्थापना की जाए।
स्टाफ भर्ती के नियमों में बदलाव करते हुए बाहर से प्रतिभाओं को लाने और संगठन के विभिन्न वाणिज्यिक प्रक्रियाओं में बदलाव करने का सुझाव भी समिति द्वारा दिया गया है।
स्टाफ भर्ती के नियमों में बदलाव करते हुए बाहर से प्रतिभाओं को लाने और संगठन के विभिन्न वाणिज्यिक प्रक्रियाओं में बदलाव करने का सुझाव भी समिति द्वारा दिया गया है।
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रेलवे के
संगठनात्मक ढांचे पर टिप्पणी करते हुए समिति ने कहा कि रेलवे के विभिन्न विभाग
अलग-अलग काम करते हैं और इससे संगठन की कार्य प्रणाली नकारात्मक रुप से प्रभावित
हो रही है।
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समिति ने अलग से रेल बजट पेश किए जाने की परंपरा को भी खत्म
करने की सिफारिश भी की है। रेलवे बजट को ब्रिटिश औपनिवेशिक विरासत के तौर पर देखा
जाता है।
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