निगोशिएबल इन्‍स्‍ट्रूमेंट (संशोधन) अध्यादेश, 2015



प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने निगोशिएबल इन्‍स्‍ट्रूमेंट (हुण्डी, चेक संबंधी प्रपत्र) (संशोधन) अध्यादेश, 2015 जारी करने के प्रस्ताव को 10 जून 2015 को अपनी स्वीकृति दी।

निगोशिएबल इन्स्ट्रूमेंट (संशोधन) अध्यादेश से संबंधित मुख्य तथ्य:
·         निगोशिएबल इन्‍स्‍ट्रूमेंट अधिनियम की धारा 138 के तहत किए गए अपराधों के लिए वाद दायर करने से जुड़े मामलों में क्षेत्राधिकार के बारे में स्‍पष्‍टीकरण देने पर ध्‍यान केन्द्रित किया गया है। क्षेत्राधिकार से जुड़े मुद्दों पर स्‍पष्‍टीकरण इक्विटी के दृष्टिकोण से अपेक्षित है क्‍योंकि यह शिकायतकर्ता के हित में होगा और इससे निष्‍पक्ष सु‍नवाई सुनिश्चित होगी।
·         चेक बाउंस के मामलों में क्षेत्राधिकार के मुद्दों पर स्‍पष्‍टीकरण से एक वित्‍तीय प्रपत्र के रूप में चेक की विश्‍वसनीयता बढ़ेगी। इससे व्‍यापार एवं वाणिज्‍य में मदद मिलेगी और बैंकों समेत ऋणदाता संस्‍थानों को चेक बाउंस के चलते कर्ज अदायगी में चूक होने की आशंका के बगैर अर्थव्‍यवस्‍था को वित्‍त मुहैया कराने का सिलसिला जारी रखने में आसानी होगी।
·         निगोशिएबल इन्‍स्‍ट्रूमेंट अधिनियम की धारा 138 का संबंध खाताधारक के खाते में अपर्याप्‍त धन इत्‍यादि के चलते कर्ज अथवा अन्‍य देनदारी की कानूनन अदायगी के लिए उसके द्वारा जारी किए गए चेक के बांउस होने से जुड़े मामलों से है।

·         निगोशिएबल इन्‍स्‍ट्रूमेंट अधिनियम की धारा 138 में चेक जारी करने वाले के खाते में अपर्याप्‍त धन के चलते उसके द्वारा जारी चेक के बाउंस होने की स्थिति में जुर्माना लगाने का प्रावधान है। निगोशिएबल इन्‍स्‍ट्रूमेंट अधिनियम का उद्देश्‍य चेक के इस्‍तेमाल को बढ़ावा देना और संबंधित प्रपत्र की विश्‍वसनीयता बढ़ाना है, ताकि सामान्‍य कारोबारी लेन-देन और देनदारियों का निपटान सुनिश्चित किया जा सके।

Comments