अटल शहरी रूपांतरण एवं नवीकरण मिशन तथा स्मार्ट सिटीज मिशन



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 29 अप्रैल 2015 को 100 स्मार्ट शहरों के विकास के लिए स्मार्ट सिटीज मिशन (Smart Cities Mission) तथा 500 शहरों के लिए शहरी रूपांतरण एवं नवीकरण के लिए अटल मिशन (अमरूत) (Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation, AMRUT) को मंजूरी दी गई। इन परियोजनाओं पर क्रमश: 48,000 करोड़ रुपये व 50,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों को और ज्‍यादा रहने लायक तथा समावेशी बनाने के साथ-साथ आर्थिक विकास की रफ्तार तेज करने हेतु देश के शहरी परिदृश्‍य में व्‍यापक बदलाव लाना है। 

स्मार्ट सिटीज मिशन

v  100 स्‍मार्ट शहरों के निर्माण के इस मिशन का उद्देश्‍य उपलब्‍ध परिसंपत्तियों, संसाधनों एवं बुनियादी ढांचे के कारगर इस्‍तेमाल के लिए स्‍मार्ट सोल्‍यूशन को अपनाने हेतु बढ़ावा देना है, ताकि शहरी जीवन की गुणवत्‍ता बेहतर हो सके और स्‍वच्‍छ एवं टिकाऊ माहौल सुलभ हो सके।
v  स्‍मार्ट सिटी पहल के तहत प्रमुख बुनियादी ढांचागत सेवाओं पर ध्‍यान केन्द्रित किया जाएगा, जिनमें पर्याप्‍त एवं स्‍वच्‍छ जल की आपूर्ति, साफ-सफाई, ठोस कचरे का प्रबंधन, शहरों में आवागमन और सार्वजनिक परिवहन की कारगर व्‍यवस्‍था, गरीबों के लिए सस्‍ते मकान, बिजली की आपूर्ति, सुदृढ़ आईटी कनेक्टिविटी, गवर्नेंस खासकर ई-गवर्नेंस एवं नागरिकों की भागीदारी, नागरिकों की सुरक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा और टिकाऊ शहरी माहौल शामिल हैं। 
v  स्‍मार्ट सिटी की आकांक्षा रखने वाले शहरों का चयन एक 'सिटी चैलेंज कंपटीशन' के जरिए किया जाएगा, जिसके तहत इस बात का आकलन किया जाएगा कि उम्मीदवारी करने वाले शहर मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने के योग्य हैं या नहीं । इसमें शहर विशेष की वित्तीय क्षमता देखी जाएगी। हर राज्‍य तय नियमों के मुताबिक स्‍मार्ट सिटी की आकांक्षा रखने वाले शहरों की एक खास संख्‍या का चयन करेंगे और वे इस दिशा में आगे के मूल्‍यांकन के लिए स्‍मार्ट सिटी से जुड़े प्रस्‍ताव तैयार करेंगे, ताकि केन्‍द्रीय सहायता सुलभ कराई जा सके। राज्यों द्वारा प्रस्तावित नामों में से अंतिम सौ शहरों को चुना जाएगा।
v  स्‍मार्ट सिटी से जुड़ी कार्य योजनाओं को विशेष उद्देश्‍य वाहन (एसपीवी) (Special Purpose Vehicles, SPV) के जरिए क्रियान्वित किया जाएगा। हर शहर के लिए एसपीवी बनाया जाएगा और राज्य सरकारें एसपीवी के लिए संसाधनों का सतत प्रवाह सुनिश्चित करेंगी। 
v  इसके तहत शहरी नियोजन में नागरिकों की भागीदारी पर विशेष जोर दिया जाएगा। 

अटल शहरी रूपांतरण एवं नवीकरण मिशन

Ø  इस मिशन को ऐसे 500 शहरों एवं कस्‍बों में क्रियान्वित किया जाएगा, जहां की आबादी एक लाख या उससे ज्‍यादा है। इसके अतिरिक्त पर्यटन की दृष्टि से लोकप्रिय शहरों, मुख्य नदियों के किनारे अवस्थित शहरों, कुछ प्रमुख पर्वतीय शहरों और कुछ चयनित द्वीपों को इस मिशन के अंतर्गत रखा जाएगा।
Ø  'अमरूत' एक प्रकार से जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) का ही नया रुप है। शहरी अवसंरचनाओं के विकास के लिए जेएनएनयूआरएम की शुरुआत वर्ष 2005 में की गई थी। जेएनएनयूआरएम में 10 लाख से अधिक आबादी वाले 65 शहरों के विकास की बात कही गई थी जबकि इसके तहत 500 शहरों एवं कस्‍बों के विकास की योजना है।
Ø  कैबिनेट ने जेएनएनयूआरएम के तहत आवंटित ऐसी परियोजनाएं जो अभी तक पूरी नहीं हो पाई हैं उनको अमरूत के तहत केंद्रीय सहायता की मंजूरी दी है। जेएनएनयूआरएम की ऐसी परियोजनाएं जिन्हें 2005 से 2012 के दौरान मंजूरी मिली है और जिनमें 50 प्रतिशत प्रगति हासिल हुई है, साथ ही जिनमें 2012-14 के दौरान केंद्रीय सहायता की 50 फीसदी राशि ली गई है, को मार्च, 2017 तक केंद्र से मदद मिलेगी।
Ø  इस मिशन के तहत राज्यों व स्थानीय निकायों को अधिक स्वायत्ता प्रदान की गई है। जेएनएनयूआरएम के तहत हर प्रोजेक्‍ट को मंजूरी के लिए राज्‍य सरकारों और स्थानीय निकायों को केंद्र सरकार के पास आना पड़ता था, लेकिन अमरुत मिशन के तहत केंद्र सरकार ने राज्‍यों को अधिकार दिया है कि वे साल में एक बार सालाना एक्‍शन प्‍लान लेकर केंद्र सरकार के पास आएंगे।
Ø  राज्‍य इस मिशन के तहत चिन्हित शहरों की जरूरतों के आधार पर योजनाएं तैयार कर सकेंगे। यही नहीं, राज्‍यों को इन योजनाओं के क्रियान्‍वयन एवं निगरानी का भी अधिकार होगा। केन्‍द्र सरकार परियोजनाओं का अलग-अलग आकलन नहीं करेगी, जो जेएनएनयूआरएम की व्‍यवस्‍था से हटकर है। 
Ø  'अमरूत' मिशन में राज्‍य सरकार के अधिकारियों व कर्मचारियों के कामकाज में सुधार की व्‍यवस्‍था भी की गई है। साथ ही, सिस्‍टम में सुधार करने वाले स्थानीय निकायों और राज्‍य सरकारों के लिए इंसेंटिव की व्‍यवस्‍था भी की गई है।
Ø  'अमरूत' के तहत आधारभूत अवसंरचनाओं के विकास से संबंधित परियोजना आधारित दृष्टिकोण को अपनाया गया है, ताकि जलापूर्ति, सीवरेज, पानी की निकासी, परिवहन, हरित स्‍थलों एवं पार्कों के विकास से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सेवाएं सुनिश्चित की जा सकें। इसके तहत बच्‍चों की जरूरतों को पूरा करने का विशेष प्रावधान होगा।
Ø  इस मिशन के क्रियान्‍वयन को ई-गवर्नेंस, धनराशि के हस्‍तांतरण एवं शहरी स्‍थानीय निकायों के कामकाज, प्रोफेशनल नगरपालिका कैडर, शहरी स्‍थानीय निकायों की साख रेटिंग जैसे शहरी सुधारों को बढ़ावा देने से जोड़ा जाएगा। 

वित्‍तपोषण

ü  स्‍मार्ट सिटी मिशन के तहत हर चयनित शहर को अगले पांच वर्षों के दौरान हर साल 100 करोड़ रुपये की केन्‍द्रीय सहायता दी जाएगी।
ü  बजट आवंटन का 10 प्रतिशत राज्‍यों/केन्‍द्रशासित प्रदेशों को बतौर प्रोत्‍साहन दिया जाएगा, जो पिछले वर्ष के सुधारों से जुड़ी उपलब्धि पर आधारित होगा। 
ü  10 लाख तक की आबादी वाले शहरों एवं कस्‍बों के लिए जो केन्‍द्रीय सहायता दी जाएगी वह परियोजना लागत के 50 प्रतिशत तक होगी। वहीं, 10 लाख से ज्‍यादा आबादी वाले शहरों एवं कस्‍बों के लिए परियोजना लागत के एक तिहाई के बराबर केन्‍द्रीय सहायता दी जाएगी।
ü  केन्‍द्रीय सहायता को 20:40:40 के अनुपात में तीन किस्‍तों में जारी किया जाएगा, जो राज्‍यों की वार्षिक कार्य योजनाओं में उल्‍लेखित लक्ष्‍यों की प्राप्ति पर आधारित होगी। 
ü  'अमरूत' मिशन के वित्‍तपोषण के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) को बढ़ावा दिया जाएगा।

मिशन की चुनौतियाँ

सामान्यतः केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्य ज्यादा अभिरुचि प्रदर्शित नहीं करते हैं जिसके कारण राज्य स्तर पर योजनाएं बेहतर तरीके से क्रियान्वित नहीं हो पाती हैं। इसके पीछे कारण यह होता है कि राज्यों को केंद्रीय योजनाओं में कम स्वायत्ता दी जाती है। इन दोनों मिशन के तहत नए दृष्टिकोण को अपनाते हुए राज्यों को अधिक स्वायत्ता दी गई है। इस मिशन के तहत योजनाओं को तैयार करने और उसके क्रियान्वयन व निगरानी की जिम्मेवारी स्थानीय निकायों और राज्‍य सरकारों को प्रदान की गई है।

·          समस्या यह है कि स्थानीय निकायों का अति राजनीतिकरण हो गया है और ये भ्रष्टाचार का केंद्र बन गई हैं।
·          राज्य सरकारें राजनीति से उपर उठ कर और भ्रष्टाचार मुक्त रह कर कार्य करेंगी यह भी संदेह के घेरे में है, साथ ही प्रौद्योगिकी को अपनाने के योग्य होना और सेवाओं की प्रभावी उपलब्धता सुनिश्चित करना भी मुश्किल कार्य है।
·          दोनों मिशनों के लिए केंद्र सरकार द्वारा लगभग एक लाख करोङ का फंड उपलब्ध कराया गया है। राज्य सरकारों के शेयर को मिला देने के बाद इन मिशनों के लिए कुल फंड लगभग दो लाख करोङ का होता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि राज्‍य सरकारों और स्थानीय निकायों के पास इन मिशनों के लिए पैसा कहां से आएगा।
·          केंद्र सरकार ने जेएनएनयूआरएम की तरह 'अमरूत'  में भी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) को बढ़ावा देने की बात कही है। जेएनएनयूआरएम में प्राइवेट सेक्‍टर ने कुछ शहरों को छोड़कर अन्‍य शहरों में अधिक रूचि नहीं दिखाई। ऐसे में राज्‍यों को प्राइवेट निवेशकों को लुभाने के लिए माहौल बनाना होगा।
·          शहरों का विकास एक सतत निर्माण की प्रक्रिया का हिस्सा है जिसे पांच साल में पूर्ण नहीं किया जा सकता है। वित्त और तकनीक की लंबे समय तक उपलब्धता ही इन मिशनों को सफल बना सकती है।



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