अल्पसंख्यकों के लिए ‘उस्ताद’ योजना

 

बुनकरों, हस्तशिल्पियों और पारंपरिक कलाकारों की प्रतिभा को सही पहचान दिलाने और नए वक्त के साथ उनकी कला को निखारने के लिए केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री नजमा हेपतुल्लाह द्वारा उस्‍ताद(पारंपरिक कलाओं/शिल्‍पों में विकास के लिए कौशल और प्रशिक्षण का उन्‍नयन) योजना (Upgrading the Skills and Training in Traditional Arts/Crafts for Development,USTAD) की शुरूआत 14 मई 2015 को वाराणसी में की गई।

उस्तादयोजनाः मुख्य बिंदु

v  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सबका साथ सबका विकास' कार्यक्रम के तहत योजना में उन शिल्पकारों को जोड़ा जाएगा जो पैतृक व्यवसाय के रूप में अपनी परंपरागत जीविका को बचाए रखने की कोशिश में जुटे हैं।
v  यह योजना पारंपरिक कलाओं/शिल्‍पों की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने और पारंपरिक दस्‍तकारों/शिल्‍पकारों की क्षमता के निर्माण एवं उन्नयन के लिए शुरु की गई है।
v  इस योजना  का लक्ष्य हस्तशिल्प को प्रोत्साहन देकर बुनकरों के उद्धार करना है।
v  उस्‍तादयोजना कश्‍मीर से लेकर कन्‍याकुमारी तक और अरुणाचल प्रदेश से लेकर गुजरात तक देश के सभी क्षेत्रों के लिए मान्‍य है।
v  इस योजना के तहत अल्पसंख्यकों में पारंपरिक कला और समुदाय से संबंधित हस्तकला को बढ़ावा देने के लिए उन्हें कौशल विकास तथा प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। योजना में 15 से 35 वर्ष के शिल्पकारों को मास्टर क्राफ्ट मैन के रूप में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
v  बुनकरों, हस्तशिल्पियों और पारंपरिक कलाकारों को उनके उत्पादों की बिक्री में भी मदद की जायेगी।
v  इस योजना के माध्यम से विकासोन्मुख क्षेत्रों से जुड़े अल्पसंख्यक कामगारों को बड़े बाजार नेटवर्क से  जोङा जाएगा। शिल्पकारों को बाजार की कमी महसूस नहीं हो इसके लिए ऑनलाइन ई-प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना के माध्यम से हुनरमंद शिल्पकार अपने उत्पाद ऑनलाइन बेच सकेंगे। 
v  केन्‍द्र सरकार द्वारा वित्‍तपोषित यह योजना बड़ी कम्‍पनियों के साथ प्रतिस्‍पर्धा के लिए कुशल एवं अकुशल दस्‍तकार और शिल्‍पकार तैयार करेगी।
v  यह योजना अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के युवाओं को रोजगार अवसर प्रदान करने के साथ-साथ उनका बेहतर भविष्‍य भी सुनिश्चित करेगी।

केंद्र सरकार द्वारा यह पहल ऐसे समय में की जा रही है जब सच्चर समिति की रिपोर्ट के अनुसार, मुस्लिम समुदाय के 6 से 14 वर्ष के एक चौथाई बच्चे बीच में ही स्कूल छोड़ देते हैं और इनमें से काफी स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर हैं। 17 साल से अधिक आयु वर्ग में इस समुदाय के बच्चों की शैक्षणिक उपलब्धि 17 फीसदी है जबकि राष्ट्रीय औसत 26 फीसदी है। माध्यमिक स्कूल स्तर पर सिर्फ 50 फीसदी बच्चे स्कूली शिक्षा पूरी करते हैं जबकि राष्ट्रीय औसत 62 फीसदी है।
अल्पसंख्यकों के लिए धरोहर योजना भी लागू की जा रही है जिसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय के समृद्ध धरोहर का संरक्षण करना है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा नई मंजिल, नई रोशनी, सीखो और कमाओ तथा हुनर जैसी योजनाएं भी चलाई जा रही हैं।


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