बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए विश्व बैंक की सहायता


स्कूली शिक्षा के लिए बिहार सरकार के कार्यक्रम मानव विकास कार्यक्रम को विश्व बैंक ने स्वीकृति प्रदान की है। इसके तहत बिहार में प्राथमिक शिक्षकों की गुणवत्ता सुधारने के लिए विश्व बैंक 25 करोड़ डॉलर (करीब 15.90 अरब रुपये) का ऋण देगा। अगले पांच साल में राज्य के शिक्षकों को प्रशिक्षित कर उन्हें अधिक योग्य, जिम्मेदार और जवावदेह बनाने के लिए यह राशि प्रदान की जाएगी।

बिहार सरकार का मानव विकास कार्यक्रम शिक्षकों के प्रशिक्षण, प्रदर्शन और जवाबदेही पर ध्यान केंद्रित करके उन्हें कौशल और ज्ञान मुहैया कराएगा जो उन्हें कक्षा में अधिक प्रभावी बनने के लिए आवश्यक है। इस कार्यक्रम से बिहार के सरकारी प्राथमिक स्कूलों में करीब 4.5 लाख अध्यापकों को लाभ पहुंचने की उम्मीद है। परिणामस्वरूप 2.12 करोड़ छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सकेगी।

बिहार में शिक्षकों की संख्या 2020 तक छह लाख के पार पहुंचने की संभावना है,लेकिन बिहार में प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी है जिसके कारण शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो पा रहा है। राज्य की क्षमता प्रतिवर्ष 5000 से भी कम शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की है जबकि बिहार को प्रति वर्ष इससे 10 गुणा अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।

विश्व बैंक के अनुसार, हाल में बिहार में अध्यापकों की संख्या बढने से अनुकूल माहौल में शिक्षकों को प्रशिक्षित करना अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है। बिहार में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए यह आवश्यक है कि उच्च गुणवत्ता वाले अध्यापकों की संख्या बढाने के लिए एक मजबूत प्रणाली स्थापित की जाए। राज्य में 1990 से शिक्षकों की शिक्षा पर कम राशि के आवंटन से भी समस्या बढ़ी है। ऐसे में राज्य में शिक्षकों की शिक्षा के लिए अच्छे संस्थान, प्रभावी शिक्षण व्यवस्था के साथ जवाबदेही वाले उपायों और सख्त निगरानी की जरूरत है।



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