कैपजेमिनी द्वारा आईगेट का अधिग्रहण



पेरिस मुख्यालय वाली आईटी सेवा व सॉफ्टवेयर कंपनी कैपजेमिनी (Capgemini) अमेरिका स्थित आउटसोर्सिंग कंपनी आईगेट ( iGate ) को 400 करोड़ डॉलर की कैश डील में खरीदेगी। विलय समझौते के तहत, कैपजेमिनी अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज नास्डैक में सूचीबद्ध कंपनी आईगेट का अधिग्रहण करने के लिए 48 डॉलर प्रति शेयर का भुगतान करेगी। इससे कैपजेमनी को विदेश में खासकर अमेरिकी फाइनेंशियल सेक्टर में अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद मिलेगी। डील के बाद आईगेट के फाउंडर अशोक त्रिवेदी और सुनील वाधवानी की कंपनी में हिस्सेदारी खत्म हो जाएगी। साथ ही प्राइवेट इक्विटी फर्म एपैक्स पार्टनर भी आईगेट से बाहर जाएगा।


वर्तमान में कैपजेमिनी की अमेरिका से 20 फीसदी आय आती है। इस खरीद से कंपनी को अमेरिका में बेहतर विस्तार का मौका मिलेगा, क्योंकि अमेरिका के आउटसोर्सिंग कारोबार से आईगेट को 70 फीसदी आय होती है। आईगेट के पास जनरल इलेक्ट्रिक, रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड, रियो टिंटो, सीएनए और यूबीएस जैसे क्लाइंट्स हैं जिनका लाभ कैपजेमिनी को मिलेगा। इस डील से कैपजेमिनी को अतिरिक्त टैक्स बेनेफिट मिलेंगे क्योंकि उसके पास अमेरिका में बड़ा डेफर्ड टैक्स एसेट है। हालांकि, कैपजेमिनी के खातों में एक अरब डॉलर से ज्यादा का नेट ऑपरेटिंग लॉस है।

यह अधिग्रहण बताता है कि यूरोपीय सेवा कंपनियां किस तरह से वैश्विक आईटी सेवा बाजार में अपनी पहचान बनाने के लिए कितनी आक्रामक हो रही हैं, जिस पर अभी तक अमेरिकी कंपनियों, भारतीय आईटी कंपनियों का वर्चस्व रहा है। सही मायने में वैश्विक कंपनी बनने में अभी तक एकमात्र यूरोपीय कंपनी एक्सेंचर ही सफल हो पाई है। विलय के बाद संयुक्त इकाई का 2015 में कारोबार 12.5 अरब यूरो रहने का अनुमान है और इसके कर्मचारियों की संख्या करीब 1.9 लाख होगी।

कैपजेमिनी द्वारा पहले भी भारतीय कंपनियों का अधिग्रहण किया गया है। साल 2006 में इसने कैनबे का 1.25 अरब डॉलर में अधिग्रहण किया था। तब यह बड़े अधिग्रहणों में से एक था। मूल्यांकन से ज्यादा महत्वपूर्ण यह था कि कैपजेमिनी ने बैंकिंग उद्योग में अपनी मजबूत पहुंच बनाई। कैनबे के क्लाइंटों में हाउसहोल्ड इंटरनैशनल, मॉर्गन स्टैनली आदि थी। कैनबे के अधिग्रहण और दूसरी कंपनियों के अधिग्रहण के लक्ष्य के बावजूद अमेरिकी बाजार में कैपजेमिनी की हिस्सेदारी भारतीय या बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मुकाबले तेजी से नहीं बढ़ी। सेवा क्षेत्र की यूरोपीय फर्म आउटसोर्सिंग बाजार में हिस्सेदारी पाने में धीमी रही है।



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