एशियाई बुनियादी संस्थापन निवेश बैंक में भारत सहित 57 देश



चीन के नेतृत्‍व में स्‍थापित होने वाले 50 अरब डॉलर वाले एशियाई बुनियादी संस्थापन निवेश बैंक (The Asian Infrastructure Investment Bank, AIIB) में भारत सहित 57 देश संस्‍थापक सदस्‍य के तौर पर शामिल हो चुके हैं, जबकि इस बैंक से अमेरिका और जापान ने अपने को अलग रखा है। एआईआईबी के संस्थापक सदस्य बनने के इच्छुक देशों द्वारा आवेदन देने की अंतिम तिथि 15 अप्रैल थी। चीन के उप वित्‍तमंत्री शी याओबिन के अनुसार, एआईआईबी एक खुला और समावेशी बहुपक्षीय विकास बैंक है इसलिए लगातार नए सदस्‍यों को इसमें शामिल किया जाता रहेगा।

वैश्विक अर्थव्यवस्था में नए अध्याय की शुरुआत के तहत एआईआईबी की स्थापना गत 24 अक्टूबर 2014 को चीन की पहल पर की गयी। इसमें कुल 100 अरब डॉलर का फंड रहेगा। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 50 अरब डॉलर की साझा पूंजी के साथ इस बैंक की नींव रखी थी। चीन 49 फीसदी हिस्सेदारी के साथ इसका प्रमुख साझेदार होगा। चीन के बाद भारत की सबसे अधिक हिस्सेदारी होगी। चीन, भारत और सिंगापुर सहित 21 देशों ने अक्टूबर में बीजिंग में एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कर इस बैंक की स्थापना का फैसला किया था। इसका मुख्यालय बीजिंग में स्थित है।

भारत पहला ऐसा देश था, जिसने इस बैंक का समर्थन किया था। यह बैंक अन्‍य वित्तीय संस्‍थानों जैसे एशियाई विकास बैंक, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूरक के रुप में स्थापित किया गया है। इस बैंक के 57 संस्‍थापक सदस्‍य देश पांच क्षेत्रों को कवर करते हैं, जिनमें एशिया, यूरोप, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और ओसिआनिया शामिल हैं।

संस्‍थापक सदस्‍य

एआईआईबी के संस्‍थापक सदस्‍यों में चीन, भारत, नेपाल, श्रीलंका, बांग्‍लादेश, पाकिस्‍तान, मालद्वीप, ब्रिटेन, ऑस्‍ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, ब्राजील, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड और स्‍पेन इत्यादि शामिल हैं। अमेरिका और जापान ने एआईआईबी के संस्‍थापक सदस्‍यों में शामिल होने से इनकार किया है, लेकिन इसे अपना समर्थन देने की बात कही है। अमेरिका ने प्रस्तावित बैंक की पारदर्शिता को लेकर चिंता प्रकट की है। ताइवान ने एआईआईबी का संस्‍थापक सदस्‍य होने से इनकार किया है। यह पहला अवसर है जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से तीन (चीन, ब्रिटेन और फ्रांस) और जी7 के सात सदस्यों में से चार (ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली) ने बहुपक्षीय विकास बैंक की स्थापना में हिस्सा लिया है

एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक के उद्देश्य

v  इस विकास बैंक का उद्देश्य एशियाई प्रशांत क्षेत्र में अवसंरचना परियोजनाओं का वित्तपोषण करना है जिससे यह एशियाई देशों में बुनियादी ढांचे से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं को मदद प्रदान कराएगा।
v  एशिया को यातायात, ऊर्जा और दूर संचार क्षेत्र में आधारभूत संस्थापनों के निर्माण की जरूरत है। एआईआईबी विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक समेत अन्य बहुपक्षीय संस्थाओं के साथ सहयोग कर इस क्षेत्र के आधारभूत संस्थापनों के निर्माण और विकास में पूरी मदद देगा।
v  एशियाई आधारभूत संस्थापन निवेश बैंक (एआईआईबी) की स्थापना करने का उद्देश्य क्षेत्र में संपर्क मजबूत करना है, ताकि आर्थिक और सामाजिक विकास बढ़ सके।
v  एआईआईबी खुले रवैये से मौजूदा बहुपक्षीय विकास बैंकों का पूरक बनेगा। विश्व बैंक के महानिदेशक किम चिम योंग ने कहा कि विश्व बैंक एशियाई आधारभूत संस्थापन निवेश बैंक (एआईआईबी) के साथ पूरा सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक के लिए एआईआईबी वैश्विक गरीबी उन्मूलन बढ़ाने का सबसे बड़ा साझेदार है। अगर एआईआईबी और ब्रिक्स बैंक आदि बहुपक्षीय संगठन मिल-जुलकर चुनौतियों का सामना करते हैं, तो पूरी दुनिया को लाभ मिलेगा। आशा है कि उक्त संगठन विश्व बैंक के साथ विश्व आर्थिक वृद्धि और गरीबी उन्मूलन बढ़ाने में सहयोग करेंगे। एआईआईबी की स्थापना क्षेत्रीय आर्थिक विकास की मांग के अनुरूप है इस कारण एशियाई विकास बैंक एआईआईबी के साथ सहयोग करने को तैयार है।

प्रभाव

Ø  चीन की पहल पर गठित होने वाला यह बहुपक्षीय विकास बैंक नई एवं उभरती शक्तियों के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करता है।
Ø  एआईआईबी से एशिया में विकास के लिए होने वाले फैसलों में चीन का दबदबा बढ़ेगा और अमेरिका की इस क्षेत्र की राजनीति और अर्थव्यवस्था में प्रासंगिकता घटेगी।
Ø  वर्तमान में एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक ही एशियाई देशों को विभिन्न परियोजनाओं के लिए सस्ती दरों पर कर्ज देते हैं। मगर साथ ही इनकी कई शर्तें जुड़ी होती हैं। इन दोनों पर अमेरिका और यूरोपीय देशों को वर्चस्व है, क्योंकि ये देश इनको फंडिग देते हैं। एशियाई विकास बैंक में अमेरिका की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत की है। मगर एआईआईबी के प्रचालन में आने के बाद यह एशियाई देशों को कर्ज देगा, जिससे अमेरिका और यूरोपीय देशों का वर्चस्व एशियाई अर्थव्यवस्था में कम होगा।

Ø  भारत के लिए यह इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि एआईआईबी का सर्वाधिक जोर अवसंरचना परियोजनाओं के लिए ज्यादा से ज्यादा कर्ज देने का होगा। साथ ही, इस बैंक में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका के कारण एशियाई अर्थव्यवस्था में भारत के महत्व में वृद्धि होगी।

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