बालिका शिक्षा की प्रगति के लिए डिजिटल जेंडर एटलस


केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा 9 मार्च, 2015 को भारत में बालिकाओं की शिक्षा की प्रगति के लिए डिजिटल जेंडर एटलस (Digital Gender Atlas For Advancing Girls' Education) जारी किया गया। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के सहयोग से विकसित इस एटलस से बालिकाओं के लिए, विशेषकर अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और मुस्लिम अल्पसंख्यकों जैसे हाशिये वाले समूहों के लिए पिछड़े भौगौलिक क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलेगी। पहली बार देश में लड़कियों की शिक्षा की स्थिति को दर्शानेवाले एटलस को तैयार किया गया है।
इस एटलस को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर रखा गया है और यह राज्यों,जिलों व प्रखंडों के शिक्षा अधिकारियों तथा अन्य इच्छुक समूहों के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध है। शिक्षा के क्षेत्र में कार्यक्रमों की योजना तैयार करने और उसे कार्यान्वित करने के क्रम में, इस जेंडर एटलस का उद्देश्य विकलांग बालिकाओं सहित असुरक्षित बालिकाओं पर ध्यान केंद्रित करके उनकी पहचान करना और उनके लिए एकसमान शिक्षा सुनिश्चित करना है। 

डिजिटल जेंडर एटलस के घटक

v  समग्र जेंडर रैंकिंग (Composite Gender Ranking) - प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा से संबंधित लैंगिक संकेतकों की पहचान। लैंगिक संकेतकों को चार समूहों में बांटा गया है - पहुंच, अवसंरचना, शिक्षक और परिणाम (Access, Infrastructure, Teachers and Outcomes) ।
v  लैंगिक संकेतकों का रुझान विश्लेषण (Trend Analysis of Gender Indicators)
v  शैक्षणिक संकेतकों पर पिछड़े ब्लाकों के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक आबादी, वामपंथी चरमपंथी जिलों, बेटी बचाओ बेटी पढाओ  कार्यक्रम के अन्तर्गत चयनित कम लिंगानुपात वाले जिले में शैक्षिक सुधार
v  समूहों का शिक्षा से संबंधित बहुविध नुकसान का स्थानिक प्रदर्शन
v  कमजोरियाँ  (Vulnerabilities) – यह घटक तीन व्यापक संकेतकों पर आधारित है –
ग्रामीण महिला साक्षरता (2011 की जनगणना के आधार पर),
शादी की कानूनी उम्र के नीचे से शादी करने वाले लड़कों / लड़कियों की प्रतिशतता,
काम करने वाले बच्चों का लिंग और आयु समूहों में बंटवारा (2011 की जनगणना के आधार पर)
v  विकलांग बच्चे (Children with Disabilities) – विकलांग बच्चों विशेषकर लङकियों की तीन साल यानी 2011-12, 2012-13 और 2013-14 में प्रदर्शन की स्थिति ज्ञात करना। प्रदर्शन की स्थिति राज्य और जिला स्तर पर देखे जा सकते हैं।

उद्देश्य
Ø  डिजिटल जेंडर एटलस के माध्यम से मैप में अंकित रंगों के आधार पर जिला, ब्लॉग और विद्यालय स्तर पर बालिका शिक्षा, विद्यालय में दर्ज  अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग की बालिकाओं की संख्या, विद्यालय में उपलब्ध शुद्ध पेयजल, शौचालय की जानकारी मिल सकेगी।
Ø  किसी राज्य और किसी जिले तथा प्रखण्ड में लडकियों की शिक्षा के पिछडेपन को इस एटलस के माध्यम से जाना सकता है।
Ø  इस एटलस में 2011 की जनगणना को आधार बनाया गया है और पिछले तीन साल (2011-14) के आंकडों को दर्शाया गया है, जिससे यह भी पता चल सकेगा कि सरकार की सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक उच्चतर शिक्षा अभियान या  बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ जैसी योजनाएं कितनी लागू हो पाती है और किन इलाकों में और ध्यान देने की जरूरत है।
Ø  इस एटलस से सरकार को भविष्य में योजनाएं बनाने, फंड को खर्च करने की प्राथमिकता तय करने और कार्यक्रमों को लागू करने में भी मदद मिलेगी।
Ø   यह राज्य, जिला और प्रखण्ड स्तर पर उपयोगकर्ता को भौगोलिक और संख्यात्मक डेटा उपलब्ध कराने हेतु सक्षम बनाता है और प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर लड़कियों की शिक्षा के बारे में जानकारी देता है।



http://unicef.in/PressReleases/306/Digital-Gender-Atlas-for-Advancing-Girls-Education-Launched

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