नमामि गंगा परियोजना

स्वच्छ गंगा परियोजना का आधिकारिक नाम एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन परियोजना या नमामि गंगा (Namami Ganga)  है। गंगा की धारा को निर्मल एवं अविरल बनाने के लिए यह परियोजना शुरु की गई है। केंद्रीय बजट 2014-15 में 2,037 करोड़ रुपयों की आरंभिक राशि के साथ नमामि गंगा नामक एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन परियोजना को शुरु करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि अब तक इस नदी की सफाई और संरक्षण पर बहुत बड़ी राशि खर्च की गई है,लेकिन सभी हितधारकों द्वारा समन्वित प्रयासों के अभाव में अपेक्षित परिणाम नहीं निकले हैं। इस परियोजना को शुरु करने का यह आधिकारिक कारण है।

समस्याएं
नदी का भारी प्रदूषण स्तर और औद्योगिक इकाइयों का अपशिष्ट व कचरा और आम जनता के द्वारा डाला गया कचरा गंगा की निर्मलता की सबसे बङी समस्या है। इसके अलावा कई सालों से अनुपचारित सीवेज और औद्योगिक अपशिष्ट की भारी मात्रा नदी में छोड़े जाने के कारण नदी की हालत खराब हुई है। गंगा के क्षेत्रों में बढ़ती हुई आबादी और उनकी जरुरतों को नदी की क्षमता के साथ समायोजित करना इस परियोजना की एक बङी चुनौती है। इसके अलावा जलमार्ग का विकास करना भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। 

परियोजना का क्रियान्वयन
नमामि गंगा परियोजना कई चरणों में पूरी होगी। इस परियोजना के पूर्ण होने में 18 वर्ष का समय लगने की संभावना है। गंगा की धारा को अविरल बनाने की योजना के तहत गंगा तट पर नदी नियामक क्षेत्र बनाने, व्यावहारिक कृषि पहल और आर्द्रभूमि के संरक्षण पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही जैव विविधता के संरक्षण, वहनीय एवं व्यवहारिक ढंग से पर्यटन एवं जहाजरानी के विकास की योजना है। इस परियोजना के तहत उन शहरों का प्रबंधन किया जाएगा जहां से यह नदी गुजरती है और औद्योगिक इकाइयां अपना अपशिष्ट और कचरा इसमें डालती हैं। सहायक नदियों की सफाई भी इस परियोजना की एक प्रमुख गतिविधि है।

इस परियोजना का एक प्रमुख भाग पर्यटन का विकास करना है जिससे इस परियोजना हेतु धन जुटाया जा सके। इलाहाबाद से पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक एक चैनल भी विकसित किया जाएगा ताकि जल पर्यटन को बढ़ावा मिले। गंगा नदी के द्वारा जिन्सों की परिवहन क्षमता बढ़ाने के लिए अंतरदेशीय जलमार्ग के विकास की भी योजना है। इसके तहत इलाहाबाद से हल्दिया के बीच 1620 किलोमीटर लंबे जलमार्ग के विकास के लिए राष्ट्रीय जलमार्ग-1’ नामक एक गंगा परियोजना विकसित की जाएगी तथा जिससे कम से कम 1500 टन की भार क्षमता वाले पोतों का वाणिज्यिक नौवहन होगा। इस नौ-परिवहन पर 4,200 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत आएगी और यह परियोजना 6 वर्ष में पूरी होगी।

निर्मल धारा योजना
नमामि गंगा के तहत निर्मल धारा योजना के अंतर्गत गंगा तट के 118 शहरी बस्तियों में जलमल शोधन से जुड़े आधारभूत ढांचे का विकास, साल 2022 तक इसके तटों पर स्थित गांवों के गंदे जल एवं कचरे को इसमें बहना बंद करने, घाटों का सुनियोजित विकास और राष्ट्रीय गंगा निगरानी केंद्र स्थापित किया जाएगा, जो शहरी विकास मंत्रालय के साथ समन्वय स्थापित करके किया जायेगा । इस पर शहरी विकास मंत्रालय ने 51 हजार करोड़ रुपये खर्च का अनुमान व्यक्त किया है। गंगा को निर्मल बनाने की परियोजनाओं को आगे बढ़ाने वाले राज्यों को जलमल आधारभूत संरचना के विकास के लिए अतिरिक्त केंद्रीय अनुदान प्रदान किया जाएगा। नमामि गंगा कार्यक्रम के तहत निर्मल धारा सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जलमल प्रबंधन पर जोर दिया गया है। इसके तहत गंगा तटों पर स्थित ग्राम पंचायतों (1632) को साल 2022 तक खुले रुप से गंदा पानी और कचरा बहाने से मुक्त बनाने का प्रस्ताव किया गया है।

परियोजना का कवर क्षेत्र
गंगा नदी लगभग 2,500 किमी. की दूरी कवर करने के साथ ही 29 बड़े शहर, 48 कस्बे और 23 छोटे शहरों से गुजरती है।भारत के पांच राज्य उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड  गंगा नदी के प्रवाह क्षेत्र में आते हैं। इसके अलावा सहायक नदियों के कारण यह हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और दिल्ली के कुछ हिस्सों को भी छूती है, इसलिए स्वच्छ गंगा परियोजना में इन क्षेत्रों को भी समाहित किया गया है।

जागरुकता और सहयोग
लोगों में नदी की स्वच्छता को लेकर जागरुकता पैदा करने का भी प्रयास किया जाएगा। गंगा ज्ञान प्रबंधन के तहत गंगा ज्ञान केंद्र स्थापित करना प्रस्तावित है। गंगा बेसिन का जीआईएस (जिओग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम, GIS)  डाटा भी तैयार किया जाएगा। गंगा नदी के संरक्षण की दिशा में योगदान करने के लिए प्रवासी भारतीय समुदाय को प्रोत्साहित करने के मकसद से एनआरआई निधि की स्थापना की जाएगी, जो इससे संबंधित विशेष परियोजनाओं का वित्तपोषण करेगी। केदारनाथ, हरिद्वार, कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, पटना और दिल्ली में नदियों के किनारे घाटों के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए वित्त वर्ष 2014-15 में 100 करोड़ रुपए की राशि रखी गई है।

गंगा एक्शन प्लान और परिणाम
गंगा की सफाई के लिए सन 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ‘गंगा एक्शन प्लान  (GAP) बनायाजिसे सरकारी शब्दावली में प्रथम चरण कहा गया। केन्द्र सरकार की इस योजना का उद्देश्य गंगा के जल की गुणवत्ता में सुधार करना था। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जो रोडमैप बनाया गया थाउनमें सीवेज की गंदगी को रोककर उसकी दिशा बदलनासीवेज की सफाई के लिए उपचार प्लांट लगाना तथा कम लागत वाली स्वच्छता व्यवस्था स्थापित करने के साथ ही गंगा में दाह-संस्कार को हतोत्साहित करना था।

सरकार ने गंगा सफाई परियोजना के दूसरे चरण में गंगा की प्रमुख सहायक नदियों जैसे यमुनागोमतीदामोदर और महानन्दा को साफ-सफाई के दायरे में शामिल किया। दिसम्बर1996 में राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना बनी और गंगा सफाई प्लान को उसमें सम्मिलित किया गया। इस योजना पर लगभग 837.40 करोड़ खर्च किए गए तथा हर दिन सीवर के 1025 मिलियन लीटर पानी को साफ करने की क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा गया । पर लक्ष्य के अनुरूप काम नहीं हुआइसलिए इसका वांछित परिणाम नहीं मिला। इस पर अब तक दो हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो गएलेकिन इतना पैसा खर्च होने और सत्ताईस सालों की कोशिश के बाद भी गंगा पहले से अधिक प्रदूषित हो गयी।

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