राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 19 फरवरी 2015 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ में राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य कार्ड  योजना (Soil Health Card scheme) का शुभारंभ किया गया। कृषि भूमि में उर्वरकों के अत्यधिक इस्तेमाल पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से इस योजना के तहत केन्द्र सरकार अगले तीन वर्षो में देश के 14.5 करोड़ किसानों को राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराएगी। जबकि वित्तीय वर्ष 2014-15 में 3 करोड़ किसानों को कवर किया जाएगा। तीन वर्ष बाद मृदा स्वास्थ्य कार्ड का नवीकरण किया जायेगा। इस योजना के तहत किसान अपनी खेती की जमीन की मिट्टी की जांच करा सकेंगे। इसके माध्यम से किसानों को फसल के हिसाब से खाद उपयोग करने की सुविधा भी मिलेगी। इस योजना की 75 फीसदी राशि केन्द्र सरकार वहन करेगी।इस योजना के कारण खेतों में अधिक खाद डालने की पृवत्ति पर रोक लगेगी और सन्तुलित मात्रा में खाद डालने से मिट्टी खराब नहीं होगी। 

 भारत की जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई हिस्सा अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है और सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की हिस्सेदारी लगभग 14 फीसदी है। पिछले कुछ समय कृषि भूमि का अत्यधिक और बेतरतीब दोहन हुआ है,जिससे कृषि भूमि की उत्पादकता और उर्वरता में गिरावट आई है। उर्वरकों के असंतुलित उपयोग, जैविक तत्वों के कम इस्तेमाल तथा पिछले वर्षों में घटते पोषक तत्वों की गैर प्रतिस्थापना के परिणामस्वरूप देश के कुछ भागों में पोषक तत्वों की कमी हुई है । इसकी वजह से कृषि संसाधनों का अधिकतम उपयोग नहीं हो पा रहा है। कृषि भूमि की उत्पादकता को बरकरार रखते हुए मृदा के अधिकतम उपयोग हेतु मृदा सेहत के बारे में नियमित अंतरालों पर आकलन करने की आवश्यकता है।इसी के मद्देनजर राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरुआत की गई है। राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य कार्ड  योजना का थीम वाक्य है- स्वस्थ धरा, खेत हरा
योजना की विशेषताएं
v  इस कार्ड में खेत के लिए जारी फसलवार उर्वरकों की सिफारिश होगी, साथ ही किसानों को यह भी बताया जाएगा कि उनकी जमीन को किस तरह से उर्वरक बनाया जा सकता है, इससे किसानों को मृदा स्वास्थ्य को जानने तथा मृदा पोषक तत्वों (उर्वरकों) के विवेकपूर्ण चयन में मदद मिलेगी। मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से किसानों को भूमि के पोशक तत्वों के प्रबन्धन का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
v  योजना का उद्देश्य भूमि के स्वास्थ्य की जांच तकनीक विकसित कर उसकी उर्वरा क्षमता बढ़ाने के नवाचारों को प्रोत्साहन देना भी है।
v  इस योजना से किसानों को विभिन्न सुविधाएं देने के लिये डेटाबेस बनाने में मदद मिलेगी। मृदा स्वास्थ्य कार्ड से एकत्रित आंकड़े एवं सूचनाएं किसानों को आसानी से उपलब्ध रहेंगी।
v  देश में कुल 14.1 करोड़ हेक्टेयर खेती योग्य भूमि है और सरकार की तीन वर्ष में सभी राज्यों से 2.48 लाख नमूनों को लेने और मिट्टी की गुणवत्ता की जांच करने की योजना है। ये नमूने सिंचित इलाकों में प्रत्येक 2.5 हेक्टेयर क्षेत्र से और वर्षा आधारित क्षेत्रों में प्रत्येक 10 हेक्टेयर क्षेत्र से लिए जाएंगे।
v  मृदा स्‍वास्‍थ्‍य और खाद के बारे में पर्याप्‍त जानकारी के अभाव से किसान अक्‍सर नाइट्रोजन का अत्‍यधिक प्रयोग करते हैं जो न सिर्फ कृषि उत्‍पादों की गुणवत्‍ता के लिए खतरनाक है बल्कि इससे भूमिगत जल में नाइट्रेड की मात्रा बढ़ने से कई तरह की पर्यावरणीय समस्‍यायें भी जन्‍म लेती हैं, कार्ड के जरिए ऐसी समस्याओं से बचा जा सकेगा।

v  गुजरात, तमिलनाडु, हरियाणा, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने मृदा परीक्षण में प्रगति की है लेकिन मिट्टी के विश्लेषण तथा मृदा स्वास्थ्य कार्ड के वितरण के लिए कोई एकसमान मानदंड का अनुपालन नहीं किया जाता है। केंद्रीय योजना का ध्येय इस मुद्दे को संबोधित करना है।

योजना के अन्तर्गत निम्न जानकारियाँ भी दी जानी चाहिए-
Ø  रासायनिक फसल उत्पादों के सेवन से कौन-कौन सी बीमारियों का खतरा है? समग्र स्वास्थ्य कार्ड में उन घटकों और बीमारियों से बचने के लिये सावधानियों का उल्लेख हो।
Ø  सन्तुलित खाद और कीटनाशकों के कारण प्रदूषित हुए भूजल में कौन-कौन सी बीमारियों की सम्भावना का खतरा बढ़ गया है? समग्र स्वास्थ्य कार्ड में उन रसायनों और प्रभावित भूजल के उपयोग से होने वाली बीमारियों से बचने के लिये सावधानियों का उल्लेख हो।
Ø  प्रदूषित भूजल के कारण नदियों के पानी में कौन कौन सी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है? समग्र स्वास्थ्य कार्ड में खतरनाक तत्वों और नदी जल के उपयोग से होने वाली बीमारियों से बचने के लिये सावधानियों का उल्लेख हो। 

Ø  राष्ट्रीय समग्र स्वास्थ्य कार्ड में स्थानीय तथा समय-समय पर हाने वाली बीमारियों का उल्लेख हो ताकि सुरक्षात्मक कदम उठाना सम्भव हो।

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