भारत और श्रीलंकाः संबंधों की नई शुरुआत
अपनी पहली आधिकारिक चार दिवसीय भारत यात्रा के दौरान श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरीसेना ने भारत के साथ ऐतिहासिक द्विपक्षीय असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए। श्रीलंका द्वारा हस्ताक्षरित इस तरह का यह पहला समझौता हैश्री नरेंद्र मोदी और सिरिसेना के द्वारा द्विपक्षीय संबंधों और समान रुचि वाले अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मसलों पर विचार-विमर्श किया गया। इसमें अर्थव्यवस्था, व्यापार, कषि क्षेत्र, ऊर्जा, प्रतिरक्षा और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में सहयोग, श्रीलंका में शांति व सुलह तथा मत्स्य पालन उद्योग शामिल थे।

चार प्रमुख समझौते जिनपर हस्ताक्षर किए गए-

1.परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोगों में सहयोग के लिए भारत और श्रीलंका के बीच करार- यह करार परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोगों में ज्ञान एवं विशेषज्ञता के आदान - प्रदान एवं अंतरण, संसाधनों की साझेदारी, कार्मिकों के क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण में सहयोग को संभव बनाएगा जिसमें रेडियो आइसोटोप्‍स का प्रयोग, परमाणु सुरक्षा, विकिरण सुरक्षा, परमाणु संरक्षा, रेडियोधर्मी अपशिष्‍ट का प्रबंधन तथा परमाणु एवं रेडियोधर्मी आपदा उपशमन और पर्यावरण संरक्षण शामिल है।
भविष्य में भारत श्रीलंका को छोटे आकार वाले परमाणु रिएक्टर बेचेगा, जिससे वर्ष 2030 तक श्रीलंका में 600 मेगावॉट परमाणु बिजली का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा। इस पर हस्ताक्षर किए जाने से दोनों देशों में कृषि और चिकित्सा जैसे दूसरे क्षेत्रों में सहयोग के लिए नया रास्ता तैयार हुआ है।
2. वर्ष 2015 - 18 के लिए भारत और श्रीलंका के बीच सांस्‍कृतिक सहयोग कार्यक्रम- वर्ष 2015 - 18 के लिए सांस्‍कृतिक सहयोग कार्यक्रम विविध प्रकार के क्षेत्रों जैसे कि अभिनय कला, दृश्‍य कला, पुस्‍तकालय, संग्रहालय, अभिलेखागार एवं सांस्‍कृतिक प्रदर्शन, पुरातत्‍व विज्ञान, हस्‍तशिल्‍प, प्रकाशन एवं व्‍यावसायिक आदान - प्रदान में सहयोग के स्‍तर को बढ़ावा देगा
3. नालंदा विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना के लिए एम..यू.- यह एम..यू. नालंदा विश्‍वविद्यालय परियोजना में श्रीलंका की भागीदारी को संभव बनाएगा।
4. भारत और श्रीलंका के बीच कृषि के क्षेत्र में सहयोग के लिए एम..यू. के तहत कार्य योजना 2014-2015-  यह कार्य योजना दोनों देशों की संगत संस्‍थाओं एवं संगठनों के बीच कृषि प्रसंस्‍करण, कृषि विस्‍तार, बागवानी, कृषि मशीनरी, कृषि यंत्रीकरण में प्रशिक्षण, पशुओं की बीमारियों आदि में द्विपक्षीय सहयोग को संभव बनाएगी।

अन्य मुद्दे
v  द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत श्रीलंका में बड़े पैमाने पर निवेश को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। भारत श्रीलंका में पूंजी निवेश विस्तार करते हुए श्रीलंका की यात्रा करने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ाने का प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि हम भारत और श्रीलंका के बीच वायु एवं समुद्र संपर्क बढ़ाने का भी इरादा रखते हैं। श्रीलंका में आंतरिक तौर पर विस्थापित लोगों के लिए भारत के सहयोग से चल रही परियोजनाओं की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया गया,जिसमें आवासीय परियोजना भी शामिल है जिसके तहत 27,000 से ज्यादा मकान बनाए जा चुके हैं।
v  वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने एक रचनात्मक एवं मानवीय रुख अपनाकर मछुआरों से जुड़े संवेदनशील मुद्दे का समाधान तलाशने को लेकर प्रतिबद्धता व्यक्त की।
v  श्रीलंका के तमिलों के अधिकारों की रक्षा और श्रीलंका के संविधान में 13 वें संशोधन को लागू करने के मुद्दे पर चर्चा की गई।
v  समुद्री डाकुओं और आतंकियों का मुकाबला करने और हथियारों की तस्करी आदि के खिलाफ समुद्री सुरक्षा सहयोग मज़बूत करने के उद्देश्य से वर्ष 2013 में भारत ने श्रीलंका और मालदीव के साथ हिंद महासागर सुरक्षा संधि पर हस्ताक्षर किए थे। जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोग का मंच स्थापित हुआ। इसके तहत तीनों देश सूचनाएं साझा करते हैं। द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समुद्री सुरक्षा सहयोग की प्रगति का स्वागत किया गया।
v  श्रीलंका में चीन के बढ़ते प्रभाव पर भी चर्चा की गई। ज्ञातव्य हो कि चीन के द्वारा 1.4 अरब डॉलर के निवेश से कोलंबो पोर्ट सिटी प्रोजेक्‍ट बनाया जा रहा है। हिंद महासागर में श्रीलंका की स्थिति के कारण चीन इसे बीजिंग के समुद्री सिल्‍क रोड के निर्माण में श्रीलंका की अहम भूमिका मानता है।


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