पूर्वोत्तर के लोगों के अधिकारों के संरक्षण हेतु बेजबरुआ समिति की सिफारिशें मंजूर
राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी 2014 में अरुणाचल प्रदेश के विधायक नीडो पवित्र के 19 वर्षीय बेटे नीडो तानिया पर हमला और इस हमले में उसकी मौत के बाद सरकार (केंद्रीय गृह मंत्रालय) ने पूर्वोत्तर परिषद के सदस्य एम.पी. बेजबरुआ की अध्यक्षता में एक समिति का गठन 21 फरवरी 2014 को किया था। समिति का गठन देश के विभिन्न भागों में रह रहे पूर्वोत्तर के लोगों की समस्याओं को चिह्न्ति करने तथा उसके समाधान के लिए उपयुक्त उपचारात्मक उपाय सुझाने के लिए किया गया था। केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर के राज्यों के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गठित समिति की सिफारिशों को मंजूर कर लिया है। समिति ने जुलाई 2014 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी और इसका अध्ययन करने के बाद सरकार ने इसकी सिफारिशों को निर्धारित समय सीमा में लागू करने का निर्णय लिया है।
समिति की सिफारिशें
v समिति ने पूर्वोत्तर के लोगों की सुरक्षा चिंताओं तथा अन्य समस्याओं के बारे में तात्कालिक, अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपाय सुझाए हैं।
v बेजबरुआ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पूर्वोत्तर के लोगों की सबसे प्रमुख मांग यह थी कि 'मोमो', 'चिंकी', 'चाइनीज', 'चीची चू चू' कहकर पुकारने या नस्ल, संस्कृति, पहचान या शारीरिक भाव-भंगिमा से जुडी किसी भी अभद्र टिप्पणियों को दंडनीय बनाया जाए।
v समिति ने सिफारिश की है कि आईपीसी की धारा 153 में ऐसे प्रावधान किए जाएं जिससे नस्लीय गुणों या नस्लीय व्यवहार एवं संस्कृति के आधार पर की जाने वाली अभद्र टिप्पणियों या भाव-भंगिमाओं के लिए पांच साल तक की जेल की सजा मिले।
v बेजबरुआ समिति ने यह सिफारिश भी की है कि यदि कोई उस नस्लीय समूह के सदस्यों के बीच खतरे या असुरक्षा की भावना पैदा करता है या जिससे ऐसी भावना पैदा होने की संभावना है तो उसके लिए भी सजा के प्रावधान किए जाएं।
v भेदभाव को रोकने के दीर्घकालिक उपायों के तहत विश्वविद्यालय व स्कूली पाठ्यक्रमों में उत्तर-पूर्व की संस्कृति व विशेषताओं के बारे में जानकारी शामिल करने को कहा गया है।
समिति के विचारार्थ विषय थे-
v समिति पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों से जुड़े सुरक्षा मामलों, चिंताओं की जांच करेगी।
v पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों पर होने वाले हमलों/ हिंसा और भेदभाव के पीछे कारणों की जांच करेगी।
v इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार को सुझाव प्रदान करेगी।
v इन सभी समस्याओँ का कानूनी हल भी सरकार को सुझाएगी।
समिति की सिफारिशों के अनुरुप सरकार के प्रयास
Ø दिल्ली एवं देश के अन्य हिस्सों में पूर्वोत्तर के लोगों की संरक्षा एवं सुरक्षा के लिए आपराधिक कानून (संशोधन) कानून 2014 को संशोधित कर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में दो प्रावधान किए जा सकते हैं। केंद्र सरकार आईपीसी में दो नए सेक्शन (सेक्शन 153-C और सेक्शन 509-A) शामिल करने पर विचार कर रही है। सेक्शन 153-C के तहत लिखित या बोले गए शब्दों से किसी इंसान पर नस्लीय टिप्पणी करना गैर-जमानती जुर्म होगा और इसमें 5 साल की कैद के साथ-साथ जुर्माना भी लगेगा। सेक्शन 509-A के तहत किसी शब्द के इशारों में बोलने, मुंह बनाने, चिढ़ाने या सिर्फ इशारे करके नस्लीय टिप्पणी करने पर 3 साल तक जेल की सजा हो सकती है।
Ø दिल्ली में विशेष तौर पर कई उपाय किए जा रहे हैं। यहां उत्तर-पूर्व के लोगों के लिए विशेष हेल्पलाइन नंबर 1093 को मुख्य हेल्पलाइन नंबर सौ के साथ सिंक्रोनाइज किया जा रहा है। इसी तरह के कदम दूसरे राज्यों को भी उठाने के लिए कहा गया है।
Ø दिल्ली में रहने वाले पूर्वोत्तर के लोगों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए अलग से दिल्ली राज्य कानून सेवा प्राधिकरण का गठन किया जायेगा जिसमें सात वकील होंगे, इनमें से पांच महिलाएं होंगी। यह प्राधिकरण प्रताड़ित लोगों को मुआवजा दिलाने का भी काम करेगा। पूर्वोत्तर के लोगों के मामलों को अब फास्ट ट्रैक अदालतों में भेजा जाएगा जिससे उनकी जल्द सुनवाई हो सके।
Ø उत्तर-पूर्व के प्रत्येक राज्य से दस-दस महिला व पुरुष पुलिसकर्मी दिल्ली पुलिस में शामिल किए जाएंगे।
Ø दिल्ली सरकार शहर में हुई किसी भी हिंसा के लिए पीड़ित को आर्थिक सहायता देगी।
Ø पूर्वोत्तर के छात्रों को विशेष छात्रवृत्ति दी जायेगी और वहां की संस्कृति के बारे में देश भर को जानकारी देने के लिए इसे स्कूल और कालेजों के पाठयक्रम में शामिल किया जायेगा। इन राज्यों के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के कार्यक्रम भी शुरु किए जाएंगे।
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