भारतीय विज्ञान कांग्रेस का 102 वां अधिवेशन
मुंबई विश्वविद्यालय में 3 से 7 जनवरी तक चले 102वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस अधिवेशन में 12 हजार से अधिक प्रतिनिधियों के अलावा कुछ नॉबेल पुरस्कार विजेताओं ने हिस्सा लिया। इस साल भारतीय विज्ञान कांग्रेस के आयोजन का विषय ‘मानव विकास के लिए विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी’ (Science and Technology for Human Development) था। मुंबई में 45 सालों के बाद विज्ञान कांग्रेस का आयोजन हुआ। आखिरी बार 1969 में मुंबई में यह आयोजन हुआ था। विज्ञान कांग्रेस का मुख्य आकर्षण 'प्राइड ऑफ इंडिया' प्रदर्शनी रहा, जिसमें भारत में विकसित अहम तकनीकी, उत्पाद और सेवाओं को दिखाया गया।
जिन विषयों पर चर्चा की गई
v प्राचीन भारत में वैमानिकी तकनीकः इस विषय पर चर्चा के दौरान यह दावा किया गया कि 1895 में शिवकर बापूजी तलपड़े और उनकी पत्नी ने मुंबई के चौपाटी बीच पर विमान उड़ाकर दिखा दिया था। इसके आठ साल बाद अमेरिका के राइट ब्रदर्स की ओर से अमेरिका के उत्तरी कैरोलाइना के किट्टी हॉक में विमान उड़ाया था। विज्ञान की दुनिया में राइट बंधुओं को ही विमान उड़ाने का श्रेय दिया जाता है।
वैमानिकी को लेकर कांग्रेस में पेश किए गए प्रेजेंटेशन के मुताबिक, 'प्राचीन भारत में वैमानिकी तकनीक मिथक नहीं है, बल्कि यह ऐतिहासिक तथ्य है कि उस जमाने में भी हमारे पास वैमानिकी से जुड़ी तकनीक थी। विमान उड़ाए जाते थे। इस बारे में दस्तावेजों में पूरा ब्योरा है। कई दस्तावेजों से साफ है कि अगस्त्य और भारद्वाज ने विमान बनाने का ज्ञान हासिल कर लिया था। एयरोनॉटिक्स या वैमानिक शास्त्र भारद्वाज के यंत्र सर्वस्व का हिस्सा है। इसे वृहदविमाना शास्त्र भी कहा जाता है। ऋग्वेद में प्राचीन विमानन तकनीक का उल्लेख है। वैमानिक शास्त्र के तहत एयरक्राफ्ट की डिजाइन और उससे जुड़े दूसरे ब्योरे आते हैं।' प्रेजेंटेशन के मुताबिक संस्कृत में 100 सेक्शन, आठ चैप्टर, 500 सिद्धांत और तीन हजार श्लोकों में वैमानिकी का वर्णन है।
v प्राचीन भारत में शल्य चिकित्साः भारतीय विज्ञान कांग्रेस में व्याख्यान के दौरान कहा गया कि प्राचीन भारत में शल्य चिकित्सा बहुत ही उन्नत अवस्था में थी और इसके पितामह सुश्रुत ने अपनी किताब सुश्रुत संहिता में अच्छे शल्य चिकित्सक के गुणों के बारे में विस्तार से बताया है। सुश्रुत पहले चिकित्सक थे जिन्होंने इलाज के लिए जोंक का इस्तेमाल किया था, पिछले दो दशकों में अमेरिका की एफडीए ने जोंक को मेडिकल डिवाइस के रूप में स्वीकार किया है।
v प्राचीन भारत में विज्ञान की उपलब्धियाँ
v प्राचीन भारत में वनस्पति विज्ञान में इंजीनियरिंग के तरीके
v योग का न्यूरोसाइंसेस अंडरस्टैंडिंग द प्रॉसेस
v सड़क सुरक्षा और ट्रामा रोकथाम
प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण
Ø गरीबों तक विज्ञान का लाभः प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से ज्यादा उचित, प्रभावी, टिकाऊ एवं किफायती प्रौद्योगिकियां विकसित करने के लिए पारंपरिक स्थानीय ज्ञान का समावेश करने का आग्रह किया ताकि विकास एवं प्रगति में जबरदस्त योगदान मिल सके। उन्होंने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के नतीजे निर्धनतम, दूरस्थ स्थल पर रहने वाले एवं सर्वाधिक जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचने चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्थितियों के अनुरूप कृषि, ग्रामीण इलाकों के लिए किफायती एवं समुचित प्रौद्योगिकियां, स्वास्थ्य की देखरेख में सुधार, स्वच्छ प्रौद्योगिकी को किफायती बनाना, भारत को प्रमुख विनिर्माण देश बनाना और प्रौद्योगिकी प्रधान उद्योग आदि भारतीय वैज्ञानिकों के समक्ष प्रमुख लक्ष्य हैं।
Ø विश्वविद्यालयों को अकादमिक स्वतंत्रता और स्वायत्तताः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 102वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन करते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों के पास उच्च स्तरीय अकादमिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके एवज में विश्वविद्यालयों को अकादमिक उत्कृष्टता और जवाबदेही के उच्चतम मानकों को स्वीकार करना चाहिए।
Ø अनुसंधान में सहूलियतः वित्त पोषण के प्रस्तावों तथा वैश्विक सम्मेलनों में शामिल होने के लिए अनुमति प्रक्रिया की मंजूरी में ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए और वैज्ञानिक विभागों को अनुसंधान संबंधी गतिविधियों में निहित अनिश्चितता पर आधारित वित्त पोषण के फैसलों में लचीला रुख अपनाना चाहिए।
Ø वैज्ञानिकों हों रोल मॉडलः विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, हमारे बच्चों को चाहिए कि खिलाड़ियों की तरह ही वे वैज्ञानिकों को भी रोल मॉडल के तौर पर देखें।
Ø अनुसंधान एवं विकास के लिए स्पष्ट नियामक नीतियाँ- प्रधानमंत्री ने जैव प्रौद्योगिकी, नैनो विज्ञान, कृषि और क्लीनिकल अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास के लिए स्पष्ट नियामक नीतियों का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक सरकारी विभाग में एक अधिकारी ऐसा होना चाहिए जो उसके कार्य क्षेत्र से संबंधित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करे तथा अपने बजट का एक फीसदी इन गतिविधियों के लिए आवंटित करे।
Ø विज्ञान-प्रौद्योगिकी में निवेशः प्रधानमंत्री ने भारतीय उद्योग जगत से उसके हितों को देखते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में निवेश बढ़ाने का आह्वान किया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी गतिविधि में निवेश कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के तहत व्यय का हिस्सा बनना चाहिए जिसमें सीधे या किसी स्वायत्त निधि के माध्यम से धन दिया जा सके।
Ø डिजिटल संपर्क मौलिक अधिकारः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, 'स्कूल जाने के अधिकार की ही तरह डिजिटल संपर्क भी एक बुनियादी अधिकार बन जाना चाहिए।
भारतीय विज्ञान कांग्रेस
भारतीय विज्ञान कांग्रेस या 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ' (Indian Science Congress Association, ISCA) 'विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग', भारत सरकार के अधीन एक पेशेवर संस्था है। जे. एल. सायमनसेन और पी. एस. मॅकमोहन नामक दो ब्रिटिश रसायनविज्ञों ने सन 1914 ई. में 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था' की बुनियाद रखी थी। इस संघ के तत्वाधान में ही प्रतिवर्ष जनवरी माह में वार्षिक विज्ञान कांग्रेस का आयोजन होता है। आशुतोष मुखर्जी की अध्यक्षता में इसकी प्रथम सभा 15 जनवरी से 17 जनवरी, 1914 के मध्य कोलकाता के एशियाटिक सोसायटी सभागार में सम्पन्न हुई थी।
'भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था' का गठन निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु किया गया था-
1. भारत में विज्ञान को उन्नत करना एवं उसे बढ़ावा देना।
2. भारत में उपयुक्त स्थान पर वार्षिक सम्मेलन का आयोजन करना।
3. ऐसी कार्यवाहियों, सम्पादनों, कार्य-विवरणों एवं अन्य प्रकाशनों का प्रकाशन किया जाएगा, जिसे वांछनीय माना जाए।
4. निधियों और प्राभूतों का प्रबंध और सुरक्षा करना, ताकि विज्ञान की उन्नति हो सके। इसके अंतर्गत संस्था की संपत्तियों को पूरा या किसी एक भाग को बेचने का अधकिार भी हो।
5. उपर्युक्त उद्देशों और कारणों के लिए अन्य कोई या सभी कार्यों, मामलों और वस्तुओं का संचालन या आनुषंगिक या ज़रूरतों को पूरा करना।
Comments
Post a Comment