वस्तु एवं सेवा कर(GST) विधेयक
केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संबंधित संविधान संशोधन  (122 वां संविधान संशोधन) विधेयक को मंजूरी देने के बाद इसे 19 दिसंबर 2014 को लोकसभा में पेश किया गया। जीएसटी विधेयक को उच्च सदन में  बजट सत्र में रखा जाएगा। इससे पहलेजीएसटी विधेयक को 2011 में लोकसभा में पेश किया गया थालेकिन लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही विधेयक निरस्त हो गया। इससे नई सरकार को नया विधेयक लाना पड़ा है। जीएसटी केंद्रीय स्तर पर उत्पाद शुल्क और सेवा कर और राज्यों में लगने वाले वैट (मूल्य वर्धित कर) एवं स्थानीय करों का स्थान लेगा। सर्वप्रथम 2006-07 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने जीएसटी का विचार रखा था। शुरू में इसे एक अप्रैल 2010 को लागू किया जाने का प्रस्ताव था. जीएसटी को अब अप्रैल, 2016 से लागू करने का लक्ष्य है।
जीएसटीः संबंधित तथ्य
·          इस बिल के पारित होने के बाद केंद्र सरकार को उन सभी सामानों पर टैक्स लगाने का अधिकार हो जाएगाजिन पर अब तक राज्य सरकारें टैक्स लगाती थी। विधेयक में विभिन्न केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं शुल्ककेंद्रीय उत्पाद शुल्कअतिक्ति उत्पाद शुल्कसेवा करविशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क और उपकरों से संबंधित प्रावधान शामिल है। जीएसटी दर क्या होगी,इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है। ज्यादातर देशों में यह 14 से 16 फीसदी तक है। ज्ञातव्य हो कि ऑस्ट्रेलियाजापानजर्मनीफ्रांस जैसे देशों में जीएसटी लागू है।
·          जीसएटी संशोधन विधेयक के तहत राज्यों की प्रमुख मांगों पर लचीला रूख अपनाया गया है। इस विधेयक में अल्कोहल उत्पाद को जीएसटी से बाहर कर दिया गया है। यानी राज्यों के पास उन पर टैक्स लगाने का अधिकार होगा। इसी तरह पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल तो किया गया हैलेकिन केंद्र सरकार इस पर कब से टैक्स लगाएगीये जीएसटी परिषद् तय करेगी।
·          वैट के विपरीत इसमें केवल अंतिम बिन्दु पर कर लगाया जाएगा।
·          जीएसटी से जो टैक्स मिलेगावो केंद्र और राज्य में एक तय हिसाब से बंटेगा।
·          जीएसटी लागू होने से राज्यों को कर की जो हानि होगी उसकी भरपाई के लिए संवैधानिक गारंटी का प्रावधान किया गया है। राज्यों को होने वाली हानि की भरपाई केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) की किस्तों से की जाएगी। पहली किस्त 31 मार्च से पहले जारी होगी। पहले साल में 100 फीसदीचौथे साल में 75 फीसदी और पांचवे साल में 50 फीसदी हानि की भरपाई की जाएगी।
·          ऐंट्री टैक्स (सामान के एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने पर लगने वाला कर) को जीएसटी के दायरे में लाने के बदले राज्य दो साल तक इस पर एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगा सकेंगे।
·          यह एक संविधान संशोधन बिल है। इसे संसद से दो-तिहाई बहुमत से पास कराना होगा साथ ही कम से कम 15 राज्यों की विधानसभाओं से भी पास कराना जरूरी होगा।
 जीएसटी परिषद्
विधेयक में जीएसटी परिषद् के गठन का प्रस्ताव किया है जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करेंगे इसमें केंद्रीय वित्त मंत्री के अलावा सभी राज्यों के प्रतिनिधि होंगे। राज्यों का प्रतिनिधित्व संबंधित राज्यों के वित्त मंत्री या राजस्व मंत्री या मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त कोई प्रतिनिधि करेंगे जीएसटी के बारे में निर्णय करने वाली परिषद् में दो-तिहाई सदस्य राज्यों से, जबकि एक-तिहाई सदस्य केंद्र के होंगे। इस परिषद में 75 फीसदी के बहुमत से निर्णय किए जाएंगे।
 जीएसटी के लाभ
·          इसका मकसद वस्तुओं और सेवाओं के लिए राष्ट्रीय बाजार तैयार करना है।
·          इसके लागू होने पर वैटएक्साइज और सर्विस टैक्स सहित सभी अप्रत्यक्ष कर इसमें सम्माहित हो जाएंगे और पूरे देश में वस्तुओं व सेवाओं का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित होगा।
·          जीएसटी लागू होने से दुनिया भर के निवेशकों और कारोबारियों में सकारात्मक संदेश जाएगा। इससे वस्तुओं और सेवाओं का हस्तांतरण सुनिश्चित होने के साथ कई करों के बोझ को कम किया जा सकेगा। इससे ईज ऑफ डुईंग बिजनेस में भारत की स्थिति मजबूत होगी।
·          जीएसटी से अर्थव्यवस्था में बड़े सुधारों को लागू करने में आसानी होगी। साथ ही तेज आर्थिक विकास दर पाने की कोशिशों को बल मिलेगा। जीएसटी के लागू होने के बाद देश के विकास दर में एक से डेढ़ प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। अप्रत्यक्ष कर की इस नई व्यवस्था से अर्थव्यवस्था को 60 लाख करोड़ रुपये का फायदा होने की संभावना है।
·          जीएसटी से देशभर में राज्यों के बीच आपसी कारोबार में अड़चने दूर होंगी और राज्यों के बीच कर संबंधी बाधाओं को हटाया जा सकेगा। राज्यों का आर्थिक सशक्तीकरण होगा।
·          जीएसटी आने के बाद टैक्स का ढांचा पारदर्शी होगा। इससे टैक्स चोरी कम होगी और टैक्स कलेक्शन बढ़ेगा। सरकार की टैक्स वसूली की लागत भी घट जाएगी।
·          व्यापारियों को उत्पाद करबिक्री करवैट व अन्य कर कई चरणों में जमा कराना पड़ता हैजिससे इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिल रहा है।जीएसटी के कारण इससे मुक्ति मिलेगी।
·          व्यापारियों को अलग-अलग टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा जिससे सामान बनाने की लागत घटेगीइससे सामान सस्ता होने की उम्मीद भी है।
·          हरेक राज्य में सामानों की एक ही कीमत होगी।




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