शहरी और ग्रामीण गरीबों के लिए दीनदयाल उपाध्याय योजना

केंद्र सरकार ने शहरी और ग्रामीण गरीबों के लिए दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना का आरंभ 25 सितंबर 2014 को किया। योजना का उद्देश्य कौशल विकास और अन्य उपायों के माध्यम से आजीविका के अवसरों में वृद्धि कर शहरी और ग्रामीण गरीबी को कम करना है। दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना के दो घटक हैंएक शहरी भारत के लिए और एक ग्रामीण भारत के लिए। शहरी घटक का कार्यान्वयन केंद्रीय आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय करेगा, जबकि ग्रामीण घटक, जिसका नाम दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना है, का कार्यान्वय केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा किया जाएगा।

आजीविका कौशल कार्यक्रम को पुनर्संगठित कर इसका नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना कर दिया गया है। इसके लिए भारत सरकार द्वारा अधिसूचना जारी की गई है। इसके मुताबिक योजना के तहत प्रशिक्षण ले रहे युवाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह मान लिया जाएगा कि वे परिवर्तित नाम की योजना में हुनरमंद बनने का प्रशिक्षण ले रहे हैं, लेकिन उनके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे ड्रेस में तब्दीली करने का आदेश जारी किया गया है। अब आजीविका मिशन वाले यूनिफॉर्म इस्तेमाल नहीं किए जाएंगे। इसके साथ ही दीनदयाल उपाध्याय योजना की निगरानी के लिए भी नए दिशा-निर्देश भारत सरकार द्वारा जारी किए गए हैं।

दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना

•    योजना का उद्देश्य आगामी तीन वर्षों अर्थात् वर्ष 2017 तक 10 लाख (एक मिलियन) ग्रामीण युवाओँ को प्रशिक्षित करना है।
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योजना के तहत शामिल होने के लिए न्यूनतम आयु 15 वर्ष है,जबकि आजीविका कौशल कार्यक्रम में शामिल होने के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष थी।
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ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या का समाधान करने के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की जाएगी।
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योजना के तहत प्रदान किए जाने वाले कौशल अब अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरुप होंगे और मेक इन इंडिया अभियान का पूरक बनेंगे।
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कौशल योजना में विक्लांगों के प्रशिक्षण की जरूरतों का भी ख्याल रखा जाएगा और ग्रामीण युवाओं में कौशल विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय कंपनियों सहित निजी क्षेत्र की कंपनियों को भी शामिल किया जाएगा।

शहरी क्षेत्रों के लिए दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना

·          शहरी क्षेत्रों के लिए दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना के अंतर्गत सभी 4041 शहरों और कस्बों को कवर कर पूरे शहरी आबादी को लगभग कवर किया जाएगा। वर्तमान में  सभी शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सिर्फ 790 शहर और कस्बे ही आते हैं। प्रत्येक शहरी गरीब पर 15000 रुपयों से लेकर 18000 रुपये खर्च कर उन्हें कुशल बनाया जाएगा।
·          सूक्ष्म उद्यमों (माइक्रोइंटरप्राइजेज) और समूह उद्यमों (ग्रुप इंटरप्राइजेज) की स्थापना के जरिए स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा। इसमें व्यक्तिगत परियोजनाओं के लिए 2 लाख रुपयों की ब्याज सब्सिडी औऱ समूह उद्यमों पर 10 लाख रुपयों की ब्याज सब्सिडी प्रदान की जाएगी। सब्सिडी वाले ब्याज की दर 7 फीसदी होगी।
·          शहर आजीविका केंद्रों के जरिए शहरी नागरिकों द्वारा शहरी गरीबों को बाजारोन्मुख कौशल में प्रशिक्षित करने की बड़ी मांग को पूरा किया जाएगा। प्रत्येक केंद्र को 10 लाख रुपयों का पूंजी अनुदान दिया जाएगा।
·          शहरी गरीबों को स्वयंसहायता समूहों से वित्तीय और सामाजिक जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए प्रत्येक समूह को दस हजार रुपए का सहयोग दिया जाएगा जो बदले में बैंक लिंकेज के साथ मदद करेगा।
·          विक्रेताओं के कौशल को बढ़ावा देने के लिए विक्रेता बाजार का विकास किया जाएगा।
·          शहरी बेघरों के लिए स्थायी आवासों का निर्माण और अन्य जरूरी सेवाओं का प्रावधान।

पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय श्रमेव जयते कार्यक्रम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र निर्माण के लिए श्रम की  महत्ता को ध्यान में रखते हुए 16 अक्टूबर 2014 को दक्षता विकास व श्रम सुधारों से संबंधित पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय श्रमेव जयते कार्यक्रम का शुभारंभ किया । इसका उद्देश्य श्रमिकों के प्रति नजरिया बदलना है। कार्यक्रम में श्रम क्षेत्र से संबंधित पांच प्रमुख योजनाओं का शुभारम्भ किया गया, वे हैं-

·          समर्पित श्रम सुविधा पोर्टल 
·          आक्समिक निरीक्षण की नयी योजना 
·          यूनिवर्सल खाता संख्या
·          प्रशिक्षु प्रोत्साहन योजना
·          पुनर्गठित राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना

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