मेक इन इंडिया अभियानः सशक्त और सामर्थ्यवान भारत के निर्माण का प्रयास

मेक इन इंडिया अभियान विदेशी निवेश को भारत में बढ़ावा देने के साथ ही सुस्त पड़े भारतीय उद्योगों को पटरी पर लाने के उद्देश्य से सितंबर 2014 को लॉन्च किया गया। इसका लक्ष्य भारत को दुनिया में विनिर्माण के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करना है, साथ ही व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने तथा रोजगार के नए अवसर पैदा करना भी है। मेक इन इंडिया  भारत सरकार का भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का प्रयास है। मेक इन इंडिया पहल वास्‍तव में आर्थिक विवेक और प्रशासनिक सुधार का मिश्रण है। देश-विदेश में एक साथ लॉन्च किए गए इस महत्वाकांक्षी अभियान में 30 देशों ने हिस्सा लिया। मेक इन इंडिया अभियान का लोगो’ एक खूबसूरत शेर है जो अशोक चक्र से प्रेरित है और भारत की हर क्षेत्र में सफलता दर्शाता है। यह अभियान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सन् 1916 में जन्मे प्रसिद्ध देशभक्तदार्शनिक और राजनीतिक व्यक्तित्व पंडित दीनदयाल उपाध्याय को समर्पित किया गया है।

दृष्टिकोण
वर्तमान में देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण का योगदान 15 प्रतिशत है। मेक इन इंडिया अभियान का लक्ष्य एशिया के अन्य विकासशील देशों की तरह इस योगदान को बढ़ाकर 25 प्रतिशत करना है। इस प्रक्रिया में सरकार को उम्मीद है कि ज्यादा से ज्यादा रोजगार उत्पन्न होगाप्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित होगा और भारत को विनिर्माण केंद्र में तब्दील किया जा सकेगा। मेक इन इंडिया  को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल इंडिया’ को भी मजबूत करने की भी योजना है। इस अभियान की सफलता रोजगार पैदा करने और गरीबी हटाने की रणनीति के साथ अंतःसंबद्ध है।

उद्देश्य
  • किसी भी उद्योग को भारत छोड़कर जाने के लिए मजबूर न होना पड़े साथ ही भारतीय कंपनियां बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तरह विकास करे। भारत से बाहर जा रहे ज्यादातर उद्यमियों को रोकने के लिए भारत के प्रमुख क्षेत्रों में निर्माण व्यवसायों को पुनर्जीवित करना।
  • दुनियाभर में व्यापार के अनुकूल माहौल के मामले में भारत का स्थान 135वां है,परन्तु नियमों में खुलापन के माध्यम से भारत को  50वें स्थान पर पहुंचना ।
  • भारत में कुशल और सक्षम श्रमशक्ति का विकास करना । कौशल विकास के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल अपनाना।
  •  उत्पादों को कॉस्ट-इफेक्टिव बनाने  के लिए 'हाईवे' (बुनियादी ढांचा विकास) के साथ-साथ 'आई-वे' (सूचना प्रौद्योगिकी) को समायोजित करना।
  • सरकारउद्योगपतियोंशिक्षाविदों और नौजवानों की सोच में एकरूपता लाना,जिससे प्रभावी सुशासन सुनिश्चित हो सके।  
  • भारत के गतिशील लोकतंत्र, जनांकिकीय लाभ (युवा आबादी) और बड़े बाजार का लाभ उठाना। देश में उपलब्ध मानव संसाधन और एक अरब डॉलर से अधिक का उपभोक्ता बाजार इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
प्राप्त करने योग्य लक्ष्य
·         मध्‍यावधि की तुलना में विनिर्माण क्षेत्र में 12-14 प्रतिशत प्रतिवर्ष वृद्धि करने का लक्ष्‍य।
·         देश के सकल घरेलू उत्‍पाद में विनिर्माण की हिस्‍सेदारी 2022 तक बढ़ाकर 16 से 25 प्रतिशत करना।
·         विनिर्माण क्षेत्र में 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्‍त रोजगार सृजित करना।
·         ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीब लोगों में समग्र विकास के लिए समुचित कौशल का निर्माण करना।
·         घरेलू मूल्‍य संवर्द्धन और विनिर्माण में तकनीकी ज्ञान में वृद्धि करना।
·         भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्‍पर्धा में वृद्धि करना।
·         भारतीय विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना।

प्राथमिकता वाले 25 क्षेत्र
मेक इन इंडिया  अभियान के लिए सरकार ने प्राथमिकता वाले 25 क्षेत्र चिन्हित किये हैं, जिन्हें प्रोत्साहन दिया जाएगा। इन क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और रोजगार की संभावना सबसे अधिक है। भारत सरकार द्वारा भी इन क्षेत्रों में निवेश को बढ़ाया जाएगा। अभियान के शुभारंभ के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इन क्षेत्रों में विकास से पूरी दुनिया आसानी से एशियाखासकर भारत में आ सकती है। विशेषकर भारत क्योंकि यहां की लोकतांत्रिक स्थितियां और विनिर्माण की श्रेष्ठता इसे निवेश का सबसे अच्छा स्थान बनाती है, वह भी प्रशासन के प्रभावी प्रशासनिक इरादों के साथ।
·         ऑटोमोबाइल
·         फूड प्रोसेसिंग
·         अक्षय उर्जा
·         आईटी और बीपीएम
·         सड़क और राजमार्ग
·         एविएशन
·         चमड़ा
·         अंतरिक्ष
·         जैव प्रौद्योगिकी
·         मीडिया और मनोरंजन
·         कपड़ा और वस्त्र
·         रसायन
·         खनन
·         थर्मल पावर
·         निर्माण
·         तेल और गैस
·         पर्यटन और हॉस्पिटेलिटी
·         रक्षा विनिर्माण
·         फार्मास्यूटिकल्स
·         कल्याण
·         इलेक्ट्रिकल मशीनरी
·         बंदरगाह
·         रेलवे

अभियान की सफलता के कारक तत्व
·         यह देश दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍थाओं में शामिल होने वाला है और उम्‍मीद की जाती है कि वर्ष 2020 तक यह दुनिया की सबसे बड़ा उत्‍पादक देश बन जाएगा।
·         अगले दो तीन दशकों तक यहां की जनसंख्‍या वृद्धि उद्योगों के अनुकूल रहेगी। अन्‍य देशों के मुकाबले यहां जनशक्ति पर कम लागत आती है।
·         यहां के व्‍यावसायिक घराने उत्‍तरदायित्‍वपूर्ण ढंग सेभरोसेमंद तरीकों से और व्‍यावसायिक रूप से काम करते हैं।
·         उपभोक्तावादी प्रवृति और बङा घरेलु बाजार।
·          देश में उपलब्ध तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमताएं ।
·         विदेशी निवेशकों के लिए खुला बाजार 
·         सार्वजनिक-निजी भागीदारी से संचालित पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय योजना के तहत नये प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत देशभर में 1500 से 2000 तक प्रशिक्षण केन्‍द्र खोले जाने का कार्यक्रम है। इस परियोजना पर 2000 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। सरकार ने हर साल लगभग तीन लाख लोगों को प्रशिक्षित करने का प्रस्‍ताव किया है और इस प्रकार से वर्ष 2017 के आखिर तक 10 लाख ग्रामीण युवाओं को लाभान्वित करने का कार्यक्रम बनाया गया है।
·         जिला औद्योगिक केंद्र को विकसित करने की सरकार की योजना है।
·         बैंकों और दूसरे स्रोतों से एमएसएमई सेक्टर को पूंजी प्रदान करने के लिए शुरुआत में 500 मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर को जोड़ने की योजना है। इसके तहत इन क्लस्टर को बैंकों को ज्यादा से ज्यादा कर्ज देने पर फोकस रहेगा।
मेक इन इंडिया को प्रभावी बनाने में आने वाली समस्याएँ
·          कानून में सुधार की जरूरत क्योंकि देश का श्रम कानून मेक इन इंडिया’ अभियान के लिए सहायक नहीं हैं।
·          वस्तु एवं सेवा कर लागू करना ताकि साझा बाजार विकसित किसा जा सके।
·          लाइसेंसिंग भूमि अधिग्रहण नीति।
·          आसान व्यापार करने के सूचकांक’ में भारत का स्थान बहुत नीचे है।
·          भारत का खराब बुनियादी ढ़ांचा और खराब संचालन व्यवस्था।
·          सरकारों का नौकरशाही नजरियामजबूत परिवहन की कमी और बड़े पैमाने पर फैला भ्रष्टाचार।
·          चीन के मेक इन चाईना अभियान से प्रतिस्पर्धा क्योंकि विनिर्माण क्षेत्र में अभी चीन का वर्चस्व है।

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