जी-20 और भारत

15-16 नवंबर 2014 को ब्रिस्बेन (ऑस्ट्रेलिया) में संपन्न नौवें जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा काले धन और आतंकवाद का मुद्दा उठाया गया। मोदी ने काले धन की चुनौती से निपटने के लिए आपसी सहयोग को ज़रूरी बताया और कहा कि इसके लिए वैश्विक सामंजस्य की ज़रूरत है।उन्होंने कहा कि सूचनाओं को स्वतः साझा करने का वैश्विक मानक बनाने की पहल का भारत समर्थन करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि काले धन पर अंकुश लगाकर 'आतंकवाद' और ड्रग तस्करी को रोका जा सकता है। ब्रिस्बेन जी-20 देशों का शिखर सम्मेलन 2.1 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर के लक्ष्य के साथ संपन्न हो गया है।ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबट ने सदस्य देशों द्वारा आर्थिक लक्ष्यों का उल्लेख करते हुए इस सम्मेलन का समापन किया।समापन भाषण में एबट ने कहा कि सुधारों से लाखों नौकरियों का सृजन होगा। इस सम्मेलन की मेज़बानी कर रहे ऑस्ट्रेलिया की पूरी कोशिश आर्थिक मुद्दों को केंद्र में रखने की रही लेकिन इस दौरान यूक्रेन संकट और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे हावी रहे।
ब्रिस्बेन घोषणापत्र
1)     बेहतर जीवन स्तर और गुणवत्तापरक रोजगार उपलब्ध कराने के लिए वैश्विक विकास को बढावा देना,आर्थिक लचीलेपन को बढावा देना और वैश्विक संस्थाओं को मजबूत करना।
2)     वर्ष 2018 तक जी-20 की जीडीपी में कम से कम 2 प्रतिशत की वृद्धि करना। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में 2 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि हो सकती है।फलतः व्यापार और रोजगार में वृद्धि होगी व गरीबी और असमानता कम होगी।
3)     विकास को बढावा देने और रोजगार के उत्पन्न करने के लिए वैश्विक निवेश और बुनियादी ढांचे की खामियों को कम करना।
4)     वैश्विक अवसंरचना पहल के तहत वैश्विक इंफ्रास्ट्रक्चर केंद्र की स्थापना करना।यह केंद्र सरकारों,निजी क्षेत्र,विकास बैंकों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच ज्ञान साझा करने के लिए मंच और नेटवर्क का विकास करने में सहायता करेगा।
5)     सदस्य देशों में पुरुषों और महिलाओं कि भागीदारी दरों के अंतर में 2025 तक 25 प्रतिशत तक कमी लाने का लक्ष्य,ताकि 100 मिलियन से अधिक महिलाओं को श्रमबल से जोडा जा सके।
6)     बैंकों की पूंजी और तरलता की स्थतियों में सुधार करने के लिए और अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित डेरिवेटिव बाजारों को तैयार करने के लिए वित्तीय प्रणाली के जोखिम को कम करना। वित्तीय स्थायित्व बोर्ड(एफएसबी) का प्रस्ताव।
7)     अंतर्राष्ट्रीय कर नियमों के आधुनिकीकरण के लिए जी-20 व ओईसीडी बेस इरोजन फंड प्रॉफिट शिफ्टिंग (बीईपीएस) एक्शन प्लान को 2015 तक अंतिम रुप देना। सीमा पार कर चोरी को रोकने के लिए आवश्यक विधायी प्रक्रियाओं के अधीन सूचनाओं का स्वतः आदान-प्रदान 2017-18 तक प्रारंभ कर दिया जाएगा।
8)     2015-16 जी-20 भ्रष्टाचार निरोधक कार्य योजना का समर्थन। जिसके तहत सहयोग और नेटवर्क का निर्माण,परस्पर कानूनी सहायता, भ्रष्टाचार से प्राप्त आय की पुनर्वसुली आदि शामिल है।
9)     एक मजबूत, कोटा आधारित और पर्याप्त रुप से संपन्न अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष बनाने के प्रति प्रतिबद्धता।विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत एक मजबूत बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली।
10)   ऊर्जा कार्यकुशलता संबंधी स्वैच्छिक सहयोग के लिए एक कार्ययोजना बनाने पर सहमति,जिसमें वाहनों,नेटवर्क उपकरणों,इमारतों,औद्योगिक प्रक्रियाओं और बिजली उत्पादन के साथ-साथ ऊर्जा कार्यकुशलता के लिए वित्तपोषण संबंधी कार्य शामिल हैं।
11)   जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मजबूत और प्रभावी कार्रवाई का समर्थन। घोषणा पत्र में पेरिस में 2015 में होने वाले संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में वैधानिक रूप से प्रोटोकॉल लागू करने के बारे में विचार करने के मुद्दा भी शामिल है। पेरिस में 2015 में होने वाले यूएनएफसीसी के सम्मेलन से पहले सभी पर लागू कानूनी दस्तावेज के निर्माण का प्रयास।
12)   इबोला के प्रकोप के मानवीय व आर्थिक प्रभाव पर चिंता व्यक्त की गई।
13)   वर्ष 2015 में जी-20 सम्मेलन टर्की के अंटले में एवं 2016 में चीन में होगा।
दस्तावेज जिन पर सहमति बनी
1)ब्रिस्बेन कार्य योजना
2) वैश्विक अवसंरचना पहल
3)2014 वित्तीय समावेशन कार्य योजना
4)जी-20 खाद्य सुरक्षा और पोषण फ्रेमवर्क
5) जी-20 ऊर्जा कार्यकुशलता कार्य योजना
6) 2015-16 जी-20 भ्रष्टाचार निरोधक कार्य योजना
7)प्रेषण प्रवाह को सुसाध्य बनाने के लिए जी-20 कार्य योजना
जी 20 परिचय
जी-20 वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नर्स का समूह , जो कि विश्व की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नर्स का एक संगठन है, जिसमें 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं। यूरोपीय युनियन का प्रतिनिधित्व यूरोपीय परिषद् के अध्यक्ष और यूरोपीय केंद्रीय बैंक द्वारा किया है। जी-20 विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का 85 प्रतिशत और विश्व व्यापार के लगभग 80 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है । जी-20 विश्व जनसंख्या के दो-तिहाई का प्रतिनिधित्व करता है ।
स्थापना -1999
        - 2008 (राज्य के प्रमुखों का शिखर सम्मेलन)
उद्देश्य - वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रणालीबद्ध महत्वपूर्ण औद्योगिक और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाने के लिए  महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा जी -20 के उद्देश्य इस प्रकार हैं:
·         वैश्विक आर्थिक स्थिरता और सतत विकास हासिल करने के लिए अपने सदस्यों के बीच नीति समन्वय;
·         वित्तीय नियमों को बढ़ावा देना जिससे जोखिम कम हों और भविष्य के वित्तीय संकट समाप्त हों, और
·         एक नई अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संरचना बनाना।

सदस्य -20 (अर्जेंटीना,ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ्रांस,जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया,इटली, जापान, मेक्सिको, रूस,सउदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया,तुर्की,युनाइटेड किंगडम,संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय युनियन)
जी-20 का स्वरुप
जी-20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर वैश्विक सहयोग के लिए 19  प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं और यूरोपीय संघ की सरकारों के प्रमुखों का एक मंच है।1999 में स्थापित होने के बाद से वित्त मंत्रियों की सालाना बैठक तक सीमित इस मंच को गहराती मंदी के बीच सन् 2008 से शिखर बैठक का रूप दिया जाने लगा है। मंच वैश्विक वित्तीय संकट के मद्देनजर नवंबर 2008 में वाशिंगटन डीसी में आयोजित जी-20 के नेताओं की पहली शिखर बैठक के साथ अस्तित्व में आ गया। जी-20 के शिखर सम्मेलनों ने इसके प्रभाव की गति को तेज किया क्योंकि इससे ऐसे महत्वतपूर्ण निर्णय लिए गए थे जो 2008 के वैश्विक वित्तीय कर प्रभाव को कम करते थे। परामर्श और सहयोग के माध्यम से, मंच ने एक संकट प्रबंधक के रूप में एक प्रमुख भूमिका निभाई है और सफलतापूर्वक वैश्विक वित्तीय संकट के आगे गंभीर परिणामों को समाप्त करने में योगदान दिया। जी-20 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ निकट सहयोग बनाए रखता है। जी-20 के अनुरोध पर, ये संगठन अपनी संबंधित क्षमता के अनुसार विशेषज्ञ सहायता और सलाह प्रदान करते हैं। शामिल किये गये अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में हैं-अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष , विश्व बैंक, वित्तीय स्थिरता बोर्ड, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी), विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ), संयुक्त राष्ट्र, अंकटाड और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ)।
जी -20 एक मंच के रूप में कार्य करता है और एक संगठन नहीं है। इसलिए, इसमें कोई भी स्थायी सचिवालय या प्रबंधन और प्रशासनिक संरचना नहीं है। जी-20 देशों में से किसी एक देश को आवर्ती आधार पर अध्यक्ष चुना जाता है जिसे "जी-20 प्रेसीडेंसी" के रूप में जाना जाता है। प्रेसीडेंसी उस अवधि के लिए एक अस्थायी सचिवालय स्थापित करता है जब तक वह अध्यक्ष रहता है। सचिवालय सभी कार्यों का समन्वय करता है और जी-20 की बैठकों का आयोजन करता है। जी-20 के प्रत्येक सदस्य का प्रतिनिधित्व नेताओं के शिखर सम्मेलन में राष्ट्र के अपने अध्यक्ष द्वारा किया जाता है। संबंधित नेताओं को (i) उनके वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नरों, और (ii) शेरपाओं - संबंधित नेताओं के व्यक्तिगत प्रतिनिधियों द्वारा सहायता प्रदान की जाती हैं। इस प्रकार, मौटे तौर पर दो माध्यमों से कार्य किया जाता है: (I)वित्त ट्रैक और (ii) शेरपा के ट्रैक। दोनों ट्रैक तकनीकी विश्लेषण, सलाह और विशिष्ट विषयक मुद्दों पर विशेषज्ञ कार्य समूह और समितियों की बहुत सी सिफारिशों पर निर्भर है।





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