रुस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन की भारत यात्राः संबंधों की नयी शुरुआत
भारत – रुस के 15वें शिखर सम्मलेन में भाग लेने हेतु रुस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने 11दिसंबर2014 को भारत की यात्रा की। इससे पहले वो 2012 में दिल्ली आए थे। दोनों राष्ट्रों द्वारा संबंधों को नया आधार और नयी मजबूती प्रदान करने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के दौर से ही भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियाद रूसी टेक्नोलॉजी रही है,चाहे बिजली घरों का निर्माण हो या फिर इस्पात के कारखानेसभी रूस के सहयोग से बनाए गए थे। लेकिन सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) पर आधारित भारत की नई अर्थव्यवस्था के ढाँचे में अमरीका की छाप साफ़ नज़र आती है। आधुनिक भारत अमरीका से अधिक जुड़ा है और इसकी विदेश नीति और फलते-फूलते आपसी व्यापार में भी इसकी झलक साफ़ दिखाई देती है। दोनों देशों के बीच का आपसी व्यापार भी रूस से कई गुना ज़्यादा है।ठंडे पङते संबंधों को फिर से नयी तेजी देने का प्रयास पुतिन – मोदी वार्ता के माध्यम से किया गया है।

प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के मध्य शिखर वार्ता के बाद जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए,वे हैं-

·          रूस और भारत ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग के विकास के बारे में एक रणनीतिक समझौता किया है। इस समझौते के अनुसाररूस भारत में 20 परमाणु रिएक्टरों का निर्माण करेगा। परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के इस समझौते के अन्तर्गत दुनिया में सर्वाधिक सुरक्षित दस से अधिक रिएक्टर शामिल हैं। इन रिएक्टरों के लिए मशीनों और उपकरणों का निर्माण भारत में ही किया जाएगा। रूस परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में हर हालत में भारत के शामिल होने में भारत की सहायता करेगा। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह एक ऐसा अन्तरराष्ट्रीय संगठन हैजिसके सदस्य 45 देश हैं। इस संगठन का उद्देश्य प्रमुख परमाणु सामग्रियोंउपकरणों और टेक्नोलॉजी पर नियन्त्रण स्थापित करके परमाणु हथियारों के प्रसार के जोख़िम को सीमित करना है।
·          रूसी राजकीय निगम रोसएटम’ और भारतीय परमाणु ऊर्जा विभाग ने रूस द्वारा भारत में एटमी बिजलीघरों में नए यूनिट आगे भी बनाने के बारे में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
·          रूस और भारत ने कुडनकुलम परमाणु बिजलीघर के तीसरे और चौथे रिएक्टरों के निर्माण के लिए आवश्यक उपकरणों की आपूर्ति संबंधी एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। रूस की सहायता से तैयार कुडानकुलम पावर स्टेशन में 1,000 मेगावाट का रिऐक्टर पहले से काम कर रहा है।2015 में दूसरा रिऐक्टर भी काम करने लगेगा।
·          रूस और भारत मिलकर इसके लिए आधार तैयार करेंगे कि रूस द्वारा भारत को सप्लाई की जाने वाली सैन्य-तकनीक के कल-पुर्जों का भारत में उत्पादन किया जाए।रूस भारत को 30 प्रतिशत से ज़्यादा हथियारों का निर्यात करता है। हर साल रूस भारत को क़रीब अरब डॉलर के हथियारों की आपूर्त्ति करता है। अभी तक दो देशों के बीच हस्ताक्षरित और अमल में आ रहे समझौतों की कुल क़ीमत क़रीब 20 अरब डॉलर के बराबर है। भारत उन बहुत कम देशों में से एक हैजहाँ रूस द्वारा उत्पादित सभी तरह के हथियारों का निर्यात किया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसारपिछले चार दशकों में रूस और भारत के बीच 40 अरब डॉलर का सैन्य-तकनीक सहयोग हुआ है तथा उसके आगे विकास की बड़ी अच्छी सम्भावनाएँ हैं।
·          भारत में दोहरे प्रयोजन के हेलिकोप्टरों का उत्पादन किया जायेगा जिसके तीसरे देशों को निर्यात करने की संभावना होगी। इस हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल असैन्य और सैन्य उपयोग के लिए किया जाएगा। इसके कलपुर्जे भी भारत में ही बनेंगे। इससे 'मेक इन इंडियाअभियान को मजबूती मिलेगी।  
·          रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष और भारत की इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेण्ट फ़ाइनेन्स कम्पनी (IDFC) के बीच एक अरब डॉलर की परियोजनाओं में निवेश सहयोग करने के बारे में समझौता ।दोनों इन परियोजनाओं में 50-50 करोड़ डॉलर का निवेश करेंगे। दोनों कम्पनियाँ मिलकर व्यापक ढाँचागत परियोजनाओं में यानी सड़क निर्माण से लेकर बन्दरगाहों के निर्माण तक विभिन्न परियोजनाओं में सहयोग करेंगी। इसके अलावा रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष और कम्पनी टाटा पॉव ने भी ऊर्जा क्षेत्र में सँयुक्त निवेश क्षमता के विकास के बारे में एक सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं
·          मास्को के निकट स्थित रूस के अधुनातन टेक्नोलॉजी केन्द्र स्कोलकवा’ की कम्पनियाँ भारत में गंगा नदी की सफ़ाई करने के काम में हिस्सा लेंगी को।
·          रूस एक भारतीय मोबाइल नेटवर्क कंपनी की रूस में स्थापना में सहयोग करेगा।
·          रूस ने भारतीय कंपनियों को नागरिक उड्डयन के विमान सुखोई सुपरजेट 100 और एमएस 21 को ख़रीदने का प्रस्ताव दिया है।रूस ने लो ऑर्बिट स्पेस क्राफ़्ट के विकास में सहयोग करने का प्रस्ताव दिया है।
·          दोनों देशों का बीच मुक्त व्यापार समझौते की संभावना पर भी विचार हुआ।
·          गैस और तेल के क्षेत्र में रूस की बड़ी कंपनियों ने भारतीय कंपनियों के साथ समझौता किया।
·          कच्चे हीरों के भारत को निर्यात का समझौता किया गया।


भारत रुस संबंधों की स्थिति

 पुतिन ऐसे वक्त भारत आए हैं जब यूक्रेन के मामले में पश्चिमी देशों के रूस के ख़िलाफ़ आर्थिक प्रतिबन्ध से रूसी अर्थव्यवस्था बुरे हाल में है। प्रतिबंध के बाद रूस को भारत से खाद्य पदार्थों का निर्यात बढ़ा है। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में ज़बरदस्त गिरावट से भी रूस की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हैक्योंकि वो कच्चे तेल का निर्यात करने वाला एक बड़ा देश है। रूसी मुद्रा रूबल भी इस समय काफ़ी कमज़ोर है। मुश्किल में घिरी अपनी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए पुतिन भारत के साथ सोवियत संघ के जमाने जैसा प्रगाढ़ संबंध चाहते हैं।

लेकिन,भारत-रूस दोस्ती की राह अब उतनी आसान नहीं रह गई है जितनी कभी हुआ करती थी अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के स्वरुप में व्यापक बदलाव आ गया है। रूस और अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों के खेमे के बीच एक बार फिर लगभग शीतयुद्ध की स्थिति पैदा हो गई है क्रीमिया के मसले पर रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जाने के बाद उसकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं रूस के लिए चीन का दामन पकड़ना एक मजबूरी बनती जा रही है धर भारत के भी अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ संबंध सुधरे हैं यानि विश्व की भू-राजनीतिक परिस्थितियों में भारी बदलाव आया है

अब रूस चीन को भी वैसे ही हथियार और सामरिक तकनीकी देने को राजी है जिन्हें वह कभी केवल भारत को ही दिया करता था। वह पाकिस्तान को भी हेलीकाप्टर बेचने की सोच रहा है। आज भी वह भारत को सबसे अधिक हथियार सप्लाई करने वाला देश है लेकिन इस पिछले दो दशकों के दौरान भारत ने इस्राइल आदि देशों से भी हथियार खरीदना शुरू कर दिया है। यदि रूस और अमेरिका एवं अन्य पश्चिमी देशों के बीच तनाव बढ़ता गया और रूस चीन एवं पाकिस्तान के नजदीक आता गयातो भारत के लिए मुश्किल पैदा हो सकती है।

भारत और रूस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है पारस्परिक व्यापार को बढ़ाना। इस समय दोनों देशों के देशों के बीच प्रति वर्ष होने वाला व्यापार सिर्फ दस अरब डॉलर का ही है जो रूस और चीन के बीच होने वाले व्यापार का नौवां हिस्सा है। भारत के भी कुल विदेश व्यापार का यह मात्र एक से दो प्रतिशत के मध्य है. रूस दुनिया का प्रमुख तेल निर्माता देश है और उसके पास प्राकृतिक गैस के प्रचुर भंडार हैं। दोनों देशों के बीच का आर्थिक संबंध केवल हथियारों की खरीद-फरोख्त तक सीमित नहीं रह सकता।

मोदी-पुतिन वार्ता के द्वारा आपसी संबंधों को रक्षा क्षेत्र की सीमाओं से आगे बढाकर बहुआयामी स्वरुप प्रदान करने का प्रयास किया गया है।रक्षा, ऊर्जा और उच्च तकनीकी के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता किया गया है। संबंधों को मजबूत बनाने के लिए भारत और रुस को ब्रिक्स जैसे मंच का उपयोग करना होगा।अफगानिस्तान से नाटो सेनाओं की वापसी के बाद उस देश के बारे में रूस और भारत को अपनी नीतियां ऐसी बनानी होंगी ताकि वहां राजनीतिक स्थिरता बढ़े और आतंकवाद पर लगाम लगे


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