भारत
रत्न (Bharat Ratna) देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। इस अलंकरण से उन
व्यक्तियों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट
कार्य कर देश का गौरव बढ़ाया हो। भारत रत्न कला, साहित्य, विज्ञान, खेल, राजनीतिज्ञ, विचारक, वैज्ञानिक, उद्योगपति, लेखक और समाजसेवी को असाधारण
सेवा के लिए तथा उच्च लोक सेवा को मान्यता देने के लिए भारत
सरकार की ओर से दिया जाता है। यह अलंकरण दिसंबर 2011 से पहले तक सिर्फ कला, साहित्य,
विज्ञान और
समाज सेवा में कार्य करने वाले लोगों को दिया जाता था, लेकिन दिसंबर 2011 में इसमें संशोधन किया गया। अब भारत
रत्न किसी खास क्षेत्र तक सीमित नहीं है। अब किसी भी क्षेत्र में बिना किसी भेदभाव
के एक व्यक्ति को उसके काम के लिए भारत रत्न दिया जा सकता है।
पदक का स्वरूप
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पश्च भाग |
भारत रत्न एक तांबे के
बने पीपल के पत्ते जैसा होता है, जो 59 मिमी लंबा, 48 मिमी चौड़ा और 3
मिमी मोटा होता है।
इसमें सामने की तरफ प्लेटिनम से सूर्य का चिह्न बना
होता है। पूरे पत्ते के किनारे को प्लेटिनम से बनाया जाता है। भारत रत्न के सामने
की तरफ सूर्य के चिह्न के साथ हिन्दी में 'भारत रत्न'
लिखा होता है। इसके
पीछे की तरफ अशोक स्तम्भ का चिह्न बना होता है और साथ में 'सत्यमेव जयते' लिखा होता है। इसमें सफ़ेद फीता लगा होता
है।
भारत-रत्नः संदर्भित तथ्य
Ø भारत रत्न पुरस्कार की परम्परा 2 जनवरी,1954 को तत्कालीन
राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा शुरू की गई थी।
Ø सबसे पहला पुरस्कार प्रसिद्ध वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन को दिया गया था।
Ø भारत रत्न के नाम का प्रस्ताव प्रधानमंत्री
द्वारा किया जाता है और राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है।
Ø भारत रत्न पाने वालों को भारत सरकार की ओर से एक
प्रमाणपत्र और एक तमगा मिलता है। इस सम्मान के साथ कोई रकम नहीं दी जाती है।
Ø यह प्रतिवर्ष प्रदान नहीं किया जाता है। यह
किसी व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व और देश के प्रति उसकी समर्पण भावना के लिए समय-समय
पर दिया जाने वाला अलंकरण है।
Ø दूसरे अलंकरणों की भाँति इस सम्मान को भी, नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयुक्त नहीं
किया जा सकता है।
Ø शुरू में इस सम्मान को 'मरणोपरांत' नहीं दिया जाता था,
किंतु 1955 के बाद यह निर्णय लिया गया कि इसे मरणोपरांत भी दिया जा सकता है। मरणोपरांत
सर्वप्रथम लालबहादुर शास्त्री को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
Ø 13 जुलाई, 1977 से 26 जनवरी, 1980 (जनता पार्टी की सरकार के समय) तक इस पुरस्कार को
स्थगित कर दिया गया था।
Ø 1980 में दोबारा शुरू होने पर इसे सर्वप्रथम मदर टेरेसा ने प्राप्त किया था।
Ø इसका कोई लिखित प्रावधान नहीं है कि 'भारत रत्न' केवल भारतीय नागरिकों को ही दिया जाएगा।
Ø मदर टेरेसा के अतिरिक्त दो अन्य अभारतीय - ख़ान अब्दुल गफ़्फ़ार ख़ान को 1987 में और नेल्सन मंडेला को 1990 में यह पुरस्कार दिया गया।
Ø स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को 1992 में 'भारत रत्न'
से मरणोपरान्त सम्मानित
किया गया था। किंतु उनकी मृत्यु विवादित होने के कारण अनेक प्रश्नों को उठाया गया
था। अत: भारत सरकार ने यह पुरस्कार वापस ले लिया था। यह पुरस्कार
वापस लेने का यह एकमात्र उदाहरण है।
भारत रत्न प्राप्तकर्ता को मिलने वाली सुविधाएं
ü भारत रत्न से
सम्मानित व्यक्ति को केंद्रीय मंत्री के समकक्ष सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
ü भारत रत्न
पाने वालों को अहम सरकारी कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए न्यौता मिलता है।
ü सरकार वॉरंट
ऑफ़ प्रिसिडेंस में उन्हें जगह देती है। जिन्हें भारत रत्न मिलता है उन्हें
प्रोटोकॉल में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री,
राज्यपाल, पूर्व राष्ट्रपति, उपप्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा स्पीकर, कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और संसद के दोनों
सदनों में विपक्ष के नेता के बाद जगह मिलती है। वॉरंट ऑफ़ प्रिसिडेंस का इस्तेमाल
सरकारी कार्यक्रमों में वरीयता देने के लिए होता है।
ü इसे पाने
वालों को सरकारी महकमे सुविधाएं मुहैया कराते हैं। उदाहरण के तौर पर भारत रत्न
पाने वालों को रेलवे की ओर से मुफ़्त यात्रा की सुविधा मिलती है।
ü राज्य
सरकारें भारत रत्न पाने वाली हस्तियों को अपने राज्यों में सुविधाएं उपलब्ध कराती
हैं।
ü भारत रत्न प्राप्तकर्ता
अपने विज़िटिंग कार्ड पर 'राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित'
या 'भारत रत्न प्राप्तकर्ता' लिख सकते हैं।
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