
रिपोर्टः संबंधित
तथ्य
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संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन, अंतरराष्ट्रीय कृषि
विकास कोष और विश्व खाद्यान्न योजना कार्यक्रम द्वारा संयुक्त रूप से इस रिपोर्ट को
जारी किया गया है।
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भारत में 1990 तथा 2015 के दौरान भूखे रहने वाले लोगों की संख्या में गिरावट आई। 1990-92 में भारत में यह संख्या 21.01 करोड़ थी, जो 2014-15 में घटकर 19.46 करोड़ रह गई है।
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हालांकि, इस अवधि में चीन में
भूखे सोने वाले लोगों की तादाद में अपेक्षाकृत तेजी से गिरावट आई है। चीन में यह
संख्या 1990-92 में 28.9 करोड़ थी, जो 2014-15 में घटकर 13.38 करोड़ रह गई है। भुखमरी
कम करने के मामले मेंचीन ने सर्वाधिक तेज प्रगति की है।
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भारत, बांग्लादेश, कंबोडिया और इंडोनेशिया के
साथ 26 देशों ने 1990 से अब तक स्थिति
को बेहतर किया और "खतरनाक" श्रेणी से बाहर आकर "गंभीर" की
कैटेगरी में पहुंच गए हैं। वहीं चीन, थाईलैंड, मंगोलिया और वियतनाम जैसे देश कम होकर सामान्य की श्रेणी में आ गए हैं।
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रिपोर्ट के अनुसार, FAO की निगरानी दायरे में
आने वाले 129 देशों में से 72 देशों ने गरीबी उन्मूलन के बारे में संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दि विकास
लक्ष्यों को हासिल कर लिया है।
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विकासशील देशों में खाद्य पदार्थों के अभाव की दर 25 साल पूर्व की तुलना में
23.3 प्रतिशत से घटकर 12.9 प्रतिशत तक
हो गई है।
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संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि समावेशी
आर्थिक विकास, कृषि क्षेत्र में निवेश और सामाजिक
सुरक्षा के साथ-साथ राजनीतिक स्थायित्व से भुखमरी को कम किया जा सकता है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2014
अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान द्वारा 13
अक्टूबर 2014 को भूखमरी से संबंधित ग्लोबल हंगर इंडेक्स या वैश्विक भूख सूचकांक (The Global Hunger Index ,GHI) जारी किया गया था। इस ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट के
अनुसार, कई विकासशील देशों में भूख के स्तर में कमी आने के बावजूद दो अरब लोग अभी
भी भूख से पीड़ित हैं।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2014 के प्रमुख बिंदु
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वर्ष 2014 के जीएचआई में 120 विकासशील देशों की गणना की गई
जिनमें से 55 देशों मे भूख की स्थिति गंभीर पाई गई।
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दुनिया ने वर्ष 1990 के बाद से भूख को कम करने में प्रगति
की लेकिन अभी भी भूख का स्तर 16 देशों में अत्यंत चिंताजनक बना हुआ है। वैश्विक
स्तर पर 805 मिलियन लोग अब भी भूख से ग्रस्त हैं।
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भूख की गंभीरता 44 देशों में कम हुई है। इन देशों में
अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, क्यूबा, ईरान, कजाकिस्तान, मेक्सिको और तुर्की इत्यादि देश शामिल हैं।
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ग्लोबल हंगर इंडेक्स में अच्छा प्रदर्शन करने वाले शीर्ष पांच
राष्ट्र हैं – मॉरीशस, थाईलैंड, अल्बानिया, कोलंबिया, मलेशिया।
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ग्लोबल हंगर इंडेक्स में खराब प्रदर्शन करने वाले पांच
राष्ट्र हैं - सूडान/दक्षिण सूडान, कोमोरोस, तिमोर लेस्ते, इरिट्रिया, बुरुंडी।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स और भारत
2014 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत को 55वां (76 देशों में) स्थान दिया गया है, जबकि 2013 में भारत 63वें स्थान पर था।
हालांकि, यह अभी भी थाईलैंड, चीन, घाना, इराक, श्रीलंका और नेपाल जैसे
देशों से पीछे है। साल 2006 में जारी पहले ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 119 देशों में 96 वें स्थान पर था। कम वजन वाले बच्चों के प्रतिशत में तेजी से कमी के कारण
भारत को अपनी भूख रिकॉर्ड में सुधार करने में मदद मिली है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स
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ग्लोबल हंगर इंडेक्स अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान
संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) को विश्व स्तर पर और विभिन्न
देशों और क्षेत्रों में भूख की स्थति का पता करने के लिए जारी किया जाता है।
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जीएचआई में 100 बिन्दु पैमाने पर देशों की गणना की जाती है
जिसमें शून्य सबसे अच्छा जबकि 100 सबसे खराब
है।
भुखमरी से संबंधित कुछ प्रमुख तथ्य
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19 करोड़ लोग भारत में रोज भूखे पेट रहने को
मजबूर हैं। आबादी के छठे हिस्से को पर्याप्त पोषक पदार्थ नहीं मिल पाता है और चार में से एक बच्चा भारत में कुपोषण का शिकार है। 5 साल से कम उम्र के 30.7% बच्चे अंडरवेट हैं।
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3,000 बच्चे भारत में कुपोषण से पैदा होने वाली बीमारियों के कारण रोज मरते हैं । दुनिया भर में 5 साल से कम उम्र में मरने वाले बच्चों में
भारत का हिस्सा 24% है । 30% नवजात शिशुओं की मौत भारत में होती है।
वैश्विक आंकड़े
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दुनिया में हर नौ में से एक
आदमी रोज भूखे पेट सोने को मजबूर है। 80.5
करोड़ लोगों को दुनिया में भरपेट खाने को नहीं मिलता
है। एशिया में 52.6 करोड़ लोग आधा पेट खाने को मजबूर हैं।
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विकासशील देशों की आबादी का 13.5%
हिस्सा कुपोषण का शिकार है।
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हर साल एड्स, मलेरिया और टीबी से कुल जितने लोग मरते हैं, उससे ज्यादा लोगों की मृत्यु भूख से हो जाती है। 20,000 बच्चे दुनियाभर में भूख के कारण रोज मरते हैं।
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दुनिया के बेहद गरीब लोगों का 64% हिस्सा सिर्फ 5 देशों में रहता है।80% लोग 10 डॉलर प्रतिदिन से कम पर निर्वाह करते हैं ।
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दुनिया के शीर्ष 85 अमीर लोगों की कुल संपत्ति 3.5 अरब सबसे गरीब लोगों यानी दुनिया की आधी आबादी की संपत्ति के बराबर है।
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