तेजस : भारतीय वायुसेना में शामिल


स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस को 1 जुलाई 2016 को भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया। वायुसेना दो तेजस विमानों का स्क्वॉड्रन बनाएगी। इस विमान को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने बनाया है। पहले दो साल यह स्क्वॉड्रन बेंगलुरु में रहेगा। इसके बाद यह तमिलनाडु के सुलूर में चला जाएगा। तेजस से एलसीए विमानों की पहली स्क्वाड्रन 'फ्लाइंग डैगर्स' बनाई जाएगी।

विशेषताएं
v  तेजस 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।
v  तेजस के विंग्स 8.20 मीटर चौड़े हैं। इसकी लंबाई 13.20 मीटर और ऊंचाई 4.40 मीटर है।
v  तेजस का वजन 6560 किलोग्राम है।
v  तेजस दुश्‍मन के विमानों पर हमला करने के लिए हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी मिसाइलों और जमीन पर स्थित निशाने के लिए आधुनिक लेजर डेजिग्‍नेटर और टारगेटिंग पॉड्स से लैस है।
v  क्षमता के मामले में कई मायनों में यह फ्रांस में निर्मित मिराज 2000 जैसा है।
v  यह वायुसेना को मिग 21 का विकल्‍प उपलब्‍ध कराएगा।
v  विमान का ढांचा भारत में बने कार्बन फाइबर से तैयार किया गया है। यह धातु की तुलना में कहीं ज्‍यादा हल्‍का और मजबूत होता है।
v  इसमें सेंसर तरंग रडार लगाया गया है, जो कि दुश्‍मन के विमान या जमीन से हवा में दागी गई मिसाइल के तेजस के पास आने की सूचना देता है।

v  एलसीए प्रोग्राम को मैनेज करने के लिए 1984 में एलडीए (एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी) बनाई गई थी। एलसीए ने पहली उड़ान 4 जनवरी 2001 को भरी थी। अब तक यह कुल 3184 बार उड़ान भर चुका है।

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