रेल विकास प्राधिकरण


केंद्र सरकार ने 5 अप्रैल 2017 को रेल विकास प्राधिकरण (आरडीए) के गठन को मंजूरी दी। आरडीए एक स्वतंत्र नियामक होगा। यह प्राधिकरण रेलवे अधिनियम 1989 में निर्धारित नियमों के तहत काम करेगा। इसमें अध्यक्ष के अलावा तीन अलग-अलग क्षेत्रों के तीन विशेषज्ञ सदस्य के रूप में लिए जाएंगे। इनका कार्यकाल पांच साल का होगा। अध्यक्ष की नियुक्ति निजी क्षेत्र से भी की जा सकती है, जिसका चयन कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति करेगी। प्राधिकरण का गठन 50 करोड़ रुपए के कोष के साथ होगा। सिफारिश करने वाला निकाय होने के कारण इसकी सिफारिशें मानने के लिए रेलवे बाध्य नहीं होगा।
उद्देश्य
v  आरडीए का मुख्य काम भाड़े की दरें तय करना, जिंसों का वर्गीकरण करना, सामाजिक सेवा दायित्व के सिद्धांत तय करना तथा रेल लाइनों के इस्तेमाल के शुल्क निर्धारित करने के लिए दिशानिर्देश तय करना होगा।
v  रेलवे टिकट में अलग-अलग तरह की रियायातों के बारे में फैसला करने की जिम्मेवारी भी आरडीए की होगी।
v  यह रेल सेवाओं की गुणवत्ता का मानक तय करेगा।
v  आरडीए रेलवे तथा ग्राहकों बीच कीमत व प्रतिस्पर्द्धा संबंधी मसलों का भी समाधान करेगा।
v  प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि रेलवे में निवेश के इच्छुक निजी क्षेत्र की इकाइयों को भी कारोबार के समान अवसर उपलब्ध हों।

v  यह निवेश के अनुकूल वातावरण बनाने तथा प्रौद्योगिकी के प्रयोग के बारे में भी सुझाव देगा।

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