केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई.वी. रेड्डी के नेतृत्व में गठित 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। आयोग की सभी सिफारिशें पांच साल के लिए लागू होंगी। वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी के विस्तार व स्थानीय निकायों को ज्यादा संसाधनों के हस्तांतरण सहित सहयोगपूर्ण संघवाद को बढावा देने, वस्तु एवं सेवा कर के क्रियान्वयन, राजकोषीय मजबूती, सार्वजनिक सेवाओं और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की मूल्य नीति आदि के संबंध में सिफारिशें दी हैं।
रिपोर्टः प्रमुख तथ्य
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केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी में वृद्धि
वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा
32 फीसदी से बढ़ाकर 42 फीसदी कर दिया। 10 फीसदी की बढ़ोतरी इससे पहले कभी
नहीं हुईं। 14वें वित्त आयोग की
रिपोर्ट में बढ़ाई गई हिस्सेदारी के मुताबिक, राज्यों को 2014-15
में 348,000 करोड़ रुपये और 2015-16
में 526,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।
आयोग की सिफारिशों के अनुसार वर्ष 2019-20 तक की पांच साल
की अवधि में राज्यों को कुल मिलाकर 39.48 लाख करोड़ रुपये
की राशि मिलेगी। केंद्र सरकार की ओर से योजना और अनुदान आधारित मदद के स्थान पर अब
हिस्सेदारी आधारित मदद का प्रावधान किया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादा कर हस्तांतरण से
राज्य सरकारों को अपनी जरुरतों और अनिवार्यताओं के मुताबिक योजनाओं के वित्तपोषण
और डिजाइन में अधिक स्वायत्तता मिलेगी।
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राज्यों को अधिक स्वायत्ता
वित्त आयोग ने योजनाओं में राज्यों को अधिक स्वायत्ता
देने की सिफारिश की है। आयोग ने कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से विचाराधीन
संसाधनों के हस्तांतरण की व्यवस्था कम करनी होगी अर्थात् राज्य अपनी जरूरत के
मुताबिक विकसित संसाधनों का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
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11
राज्यों को अनुदान
रिपोर्ट में राजस्व घाटे वाले 11 राज्यों को वर्ष 2015-16 के दौरान 48,906
करोड़ रुपये की अनुदान सहायता दिये जाने की भी सिफारिश की गई है।
2015-20 के दौरान की अवधि में राज्यों के राजस्व और खर्चो
का आंकलन करने के बाद वित्त आयोग ने इन राज्यों
के घाटे की क्षतिपूर्ति के लिए 1.94 लाख करोड़ रुपये की
सहायता देने का सुझाव दिया था। आयोग की सिफारिशों के अनुसार जिन राज्यों को यह
अनुदान मिलेगा, उनमें आंध्र प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर,
केरल, मणिपुर, मेघालय,
मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
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जीएसटी के लिए फंड की सिफारिश
आयोग ने जीएसटी से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के प्रावधान की
बात कही है। इसके तहत जीएसटी लागू होने के पहले, दूसरे और
तीसरे साल में 100 फीसदी, चौथे साल में
75 फीसदी और पांचवें साल में 50 फीसदी
मुआवजा दिया जाएगा। जीएसटी लागू होने पर राज्यों को मुआवजा देने के लिए अलग से
फंड बनाने की भी सिफारिश आयोग ने की है।
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स्थानीय
निकायों को अधिक संसाधन
आयोग ने स्थानीय निकायों को अधिक संसाधन देने की
भी सिफारिश की है। पंचायतों और नगरपालिकाओं सहित सभी स्थानीय निकायों को 31मार्च, 2020 को समाप्त
होने वाले पांच वर्ष की अवधि के लिए कुल 288,000 करोड़
रुपये के अनुदान का प्रावधान किया गया है।
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अंतर राज्य परिषद् को मजबूत बनाने की जरूरत
वित्त आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अंतर
राज्य परिषद् को मजबूत बनाने की जरूरत है। इसके तहत परिषद् की भूमिका का विस्तार
कर संघीय ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार को नई संस्थागत व्यवस्था तैयार करनी
चाहिए। योजना आयोग समाप्त होने के बाद अंतर राज्य परिषद् की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण
हो गई है। परिषद् की भूमिका का विस्तार राज्यों में केंद्र सरकार के अनुदान के
लिए पात्र सेक्टरों को चिन्हित करने के लिए करना होगा। सेक्टर केंद्रित अनुमान
उपलब्ध कराने में भी परिषद् की भूमिका महत्वपूर्ण होनी चाहिए।
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वित्तीय समेकन के लिए रोडमैप
वित्त आयोग ने वित्तीय समेकन संबंधी सुझाव भी
प्रस्तुत किए हैं। इसमें 2016-17 के बीच राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3 फीसदी के दायरे
में लाना होगा। राजस्व घाटे को 2019-20 तक पूरी तरह समाप्त
करने का लक्ष्य है। आयोग ने प्रभावी राजस्व घाटे की संकल्पना को समाप्त करने के
लिए एफआरबीएम (फिस्कल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट) कानून में संशोधन का
सुझाव दिया है। इसे नए डेट सीलिंग कानून से बदलने की सिफारिश की गई है।
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राष्ट्रीय निवेश फंड की समाप्ति
आयोग ने राष्ट्रीय निवेश फंड को खत्म करने की सिफारिश
की है। जिससे सरकार के लिए पीएसयू से होने वाली कमाई को तुरंत खर्च करना आसान
होगा। साथ ही राजस्व में बढ़ोतरी होगी। आयोग ने कहा है
कि सरकारी कंपनियों में
विनिवेश से मिलने वाली रकम का एक हिस्सा राज्यों को भी दिया जाना चाहिए। सरकारी
कंपनियों में विनिवेश हर साल बाजार के हालात को ध्यान में रखते हुए और पैसे की
जरुरत को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए।
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आपदा राहत कोष
आयोग ने वर्तमान आपदा राहत प्रबंधन कानून 2005 की समीक्षा करते हुए सरकार को कुछ
सुझाव दिए हैं। इसके लिए आयोग ने सभी राज्यों को 61,219
करोड़ रुपए का फंड देने का सुझाव दिया है। इस राशि में 10
फीसदी हिस्सेदारी राज्यों की रहेगी, जबकि 90 फीसदी (55,097 करोड़ रुपए) केंद्र सरकार की ओर से
दिए जाएंगे।
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बिजली उपभोक्ताओं की 100% निगरानी
वित्त आयोग ने सभी बिजली उपभोक्ताओं की 100 फीसदी निगरानी की सिफारिश की है। आयोग
ने बिजली चोरी पर सख्ती करने की भी सिफारिश की है। इससे केंद्र सरकार का सब्सिडी
बोझ कम होगा।
वित्त आयोग
भारतीय वित्त आयोग का गठन भारतीय संविधान के
अनुच्छेद 280 के तहत राष्ट्रपति द्वारा किया जाता
है। संविधान के मुताबिक, आयोग का गठन प्रत्येक पांच वर्षों
के लिए होगा और इसमें एक अध्यक्ष एवं चार अन्य सदस्य होंगे। वित्त आयोग का गठन केंद्र एवं राज्य के बीच वित्तीय
संबंधों को परिभाषित करने के लिए किया गया था। पहले वित्त आयोग का गठन 1951
में किया गया था जिसके अध्यक्ष के. सी. नेगी थे। उनकी योजना का
संचालन 1952– 57 के दौरान किया गया था।
14वें वित्त आयोग का गठन 2 जनवरी 2013 को वाईवी रेड्डी की अध्यक्षता में किया गया था और इसे अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर 2014 तक जमा करने को कहा गया था। आयोग द्वारा दो माह का विस्तार मांगने पर भारत के राष्ट्रपति ने 14वें वित्त आयोग को दो माह का अतिरिक्त समय प्रदान किया था।
14वें वित्त आयोग का गठन 2 जनवरी 2013 को वाईवी रेड्डी की अध्यक्षता में किया गया था और इसे अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर 2014 तक जमा करने को कहा गया था। आयोग द्वारा दो माह का विस्तार मांगने पर भारत के राष्ट्रपति ने 14वें वित्त आयोग को दो माह का अतिरिक्त समय प्रदान किया था।
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